जीवन-विज्ञान दिवस का आयोजन

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जीवन-विज्ञान दिवस का आयोजन

राजलदेसर
साध्वी डॉ0 परमयशा जी के सान्‍निध्य में तेरापंथ भवन में जीवन-विज्ञान दिवस मनाया गया। नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया एवं महिला मंडल की अध्यक्षा प्रेम देवी विनायकिया, रीना बैद एवं आरती बैद ने अणुव्रत गीत प्रस्तुत करते हुए मंगलाचरण किया। कार्यक्रम में श्रीराम उच्च माध्यमिक विद्यालय के विद्यार्थियों एवं श्रावक-श्राविकाओं को कहा वर्तमान युग में जीवन-विज्ञान की परम आवश्यकता है। जो जीने की कला सिखाता है, वह जीवन-विज्ञान कहलाता है। आचार्यश्री तुलसी की दूरद‍ृष्टि से इस पद्धति का आविर्भाव हुआ। मुनि नथमल जी (आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी) को प्रदत्त ‘महाप्रज्ञ’ अलंकरण दिवस को जीवन-विज्ञान दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रामाणिकता, नैतिकता, अनुशासन और मैत्री के द्वारा चरित्र उज्ज्वल होगा, जीवन का सर्वांगीण विकास हो सकता है। जीवन-विज्ञान सर्वांगीण शिक्षा परक पद्धति है। नैतिक मूल्यों के विकास का आधार हैं जीने की एक विशेष कलात्मक पद्धति है। साध्वी मुक्‍ताप्रभा जी ने बच्चों को स्मण शक्‍ति के विकास हेतु महाप्राण ध्वनि, दीर्घ श्‍वासप्रेक्षा, शशांक आसन, ध्यान आदि के विभिन्‍न प्रयोग करवाए। श्रीराम उ0मा0 विद्यालय के व्यवस्थापक भुवनेश्‍वर शर्मा ने साध्वीश्री जी द्वारा दी गई अनमोल प्रेरणा पर चलने का संकल्प व्यक्‍त किए। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष शंकरलाल सोनी ने अपने विचार रखे। अंत में उन्होंने श्रीराम विद्यालय के विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं का आभार प्रकट किया। इस अवसर पर डॉ0 साध्वी परमयशा जी, साध्वी विनम्रयशा जी, साध्वी धर्मयशा जी, साध्वी मुक्‍ताप्रभा जी एवं साध्वी कुमदप्रभा जी ने बच्चों को प्रेरित करते हुए संयुक्‍त रूप से गीत का सुमधुर गान किया। तेरापंथी सभा की तरफ से विद्यालय के शिक्षकों का साहित्य द्वारा सम्मान किया गया। संचालन अशोक बैद ने किया। कार्यक्रम में 125 बच्चे एवं शिक्षकगण तथा व्यवस्थापक मौजूद थे।