अपने अशुद्ध भावों को कमजोर करने का प्रयास करें: आचार्यश्री महाश्रमण
चौधरीवास, 12 अप्रैल, 2022
तीर्थंकर प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमण जी आज प्रातः 13 किमी का विहार कर चौधरीवास स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर परिसर में पधारे। मुख्य प्रवचन में आत्मरमण के साधक आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि आदमी अनेक चित्तों वाला होता है। कितने-कितने भाव हमारे मन में उभरते हैं। कभी आदमी शांत दिखाई देता है, तो कभी गुस्से का भाव उभरता है। कभी आदमी निरहंकार दिखाई देता है, तो कभी अहंकार का भाव उसमें फूँफकारने लग जाता है। कभी आदमी सरल-ऋजु रहता है तो कभी छल-कपट करने लग जाता है। कभी संतोष की अभिव्यक्ति करने लग जाता है, तो कभी लोभ की दावानल की चपेट में भी वह आ जाता है। हमारे भीतर भावों का परिवर्तन कई बार हो जाता है। अशुद्ध भाव भी आदमी के भीतर है, तो शुद्ध भाव भी आदमी के भीतर रहते हैं।
हिंसा का भाव कभी उभर जाता है, तो कभी अहिंसा का भाव भी आदमी में रहते हैं। आदमी प्रयास करे कि मेरे अशुद्ध भाव कमजोर पड़ें, शुद्ध भाव बने रहें। शुद्ध भाव के लिए आदमी क्षमाशील और सहिष्णु रहे। गुस्सा करना बहुत बड़ी वीरता नहीं है। सक्षम होने पर भी क्षमा रखना। बड़प्पन होता है। चंडकौशिक सर्प भगवान महावीर के प्रतिबोध से हिंसा को छोड़ साधना में लग गया। समता और शांति में आ गया। आदमी घमंड न करे। न ज्ञान का, न शक्ति का और नहीं पैसे का।
दुनिया में ज्ञान अपार है। आदमी ऋजुता रखे, छल-कपट न करे। कथनी-करनी में अंतर न हो। संतोष रखें, मूढ़ आदमी असंतोष में रहते हैं। ज्ञानी, साधनाशील आदमी संतोष में रहता है। शक्ति हमारे भीतर बहुत है। अशुद्ध भावों से शांति दब जाती है। जो शांत है, वो संत है। भारत में कितने-कितने संत, विशिष्ट व्यक्तित्व हुए हैं। रामायण में रामजी और राम भक्त हनुमानजी को देखें। शक्ति है, तो उसका दुरुपयोग न हो, अच्छे काम में लगाएँ। दुर्जन विद्या से विवाद ज्यादा करता है, सज्जन संवाद करेगा, ज्ञान देगा। दुर्जन के पास धन है, अहंकार करेगा। सज्जन धन का दान करेगा। दुर्जन के पास शक्ति है, तो दूसरों को पीड़ा पहुँचाएगा, सज्जन के पास शक्ति है, तो दूसरों की सेवा-रक्षा करेगा।
हनुमानजी शक्ति के प्रतीक पुरुष हैं। राम के प्रति उनकी भक्ति थी। आदमी को सहयोगी समर्पित व्यक्ति मिल जाता है, तो वह उसका बड़ा सौभाग्य होता है। जैन धर्म के अनुसार तो राम-हनुमान मोक्ष में चले गए हैं। लक्ष्मण और सीता भी राम के साथ रहे थे। बड़ा बड़प्पन रखे, छोटा अपना विनयभाव रखे। व्यक्ति अपने चित्त में शांति, समता भाव रखें, मैत्री भाव, सरलता, क्षमा निरहंकारता और संतोष हो। इनको और बढ़ाने का प्रयास करें। पंचमुखी बालाजी मंदिर की तरफ से मोनो भाई ने पूज्यप्रवर का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।