अक्षय तृतीया समारोह का आयोजन
गजपुर।
मुनि संजय कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन में अक्षय तृतीया का समारोह त्याग और तपस्या के साथ मनाया गया। बहनों के द्वारा मंगलाचरण किया गया। प्रारंभ में बालक-बालिकाओं के द्वारा भगवान आदिनाथ पर परिसंवाद किया गया। मुनि संजय कुमार जी ने कहा कि भगवान ऋषभ के समय लोग नहीं जानते थे कि जीवन कैसे जीना उन्होंने राजा बनकर लोगों को जीवन जीने की कला सिखाई, मुनि दीक्षा लेने के बाद उन्होंने लोगों को संयम , शांति के साथ जीने और अनशन के साथ मरने की कला बताई। मुनि धैर्य कुमार जी ने कहा कि आज का दिन हमें त्याग और तपस्या के साथ जीने की प्रेरणा देता है। उन्होंने गीत का संगान किया। मुनि सिद्धप्रज्ञ जी ने कहा कि जब कोरा शरीर तपता है तब अहंकार बढ़ता है, शरीर और इंद्रियाँ दोनों तपते हैं, तब अहंकार कम होता है, शरीर इंद्रिय और मन तीनों तपते हैं तब आत्मा का द्वार खुलता है, शरीर, इंद्रिय, मन और बुद्धि यह चारों तपते हैं तब आत्म साक्षात्कार होता है। तपस्या से समस्या का समाधान होता है। इस अवसर पर रिछेड़ से वरिष्ठ उपासक सोहनलाल कोठारी ने भगवान ऋषभ के आदिकाल को अच्छे ढंग से प्रतिपादित किया। नेहल ने सुमधुर गीत का संगान किया। सीमा कोठारी ने स्वरचित छंदों द्वारा ऋषभदेव के प्रति श्रद्धा व्यक्त की।
स्वागत तेरापंथ सभा के अध्यक्ष कुंदन कोठारी ने किया। कार्यक्रम में आत्मा, रिछेड़, पड़ासली, राजनगर, कंटालिया आदि क्षेत्रों से अच्छी संख्या में लोग समाहित थे। आत्मा से आए विमलेश मुनिश्री के संसारपक्षीय माता-पिता का भी सभा की ओर से सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि प्रकाश कुमार जी ने किया। अणुविभा के उपाध्यक्ष अशोक डूंगरवाल, सरपंच किशनलाल गमेती, गजपुर, फतेहलाल मेहता मजेरा, पत्रकार भीमराज कोठारी रिछेड़, गुणसागर धींग पड़ासली, रमेश मांडोत, उपाध्यक्ष अणुव्रत समिति राजनगर, विनय कोठारी, तेरापंथ सभा उपाध्यक्ष राजनगर आदि महानुभावों का सभा की ओर से सम्मान किया गया। आभार व्यक्त हीरालाल कोठारी ने किया। कार्यक्रम के संयोजन में तेरापंथ सभा के संरक्षक शांतिलाल सोलंकी का सराहनीय सहयोग रहा। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित थे।