अभिनव सामायिक कार्यक्रम
कोटे (कर्नाटक)।
साध्वी डॉ0 गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में प्रथम बार अभिनव सामायिक का प्रयोग करवाया गया। साध्वी मेरुप्रभाजी के मंगल गान से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। डॉ0 रेणु कोठारी ने सामायिक के महत्त्व को उजागर किया। साध्वी डॉ0 गवेषणाजी ने कहा कि भगवान महावीर का सूत्र हैµजीवन द्रुंध से युक्त है। लाभ-अलाभ, सुख-दुःख, जन्म-मरण, निंदा-प्रशंसा, मान-अपमान का चक्र चलता रहता है। इन सभी परिस्थितियों में सम रहना ही समता है। सामायिक का अर्थ हैµसमभाव में रमण करना।
साध्वी मयंकप्रभाजी ने कहा कि सामायिक बाहरी प्रदर्शन नहीं आत्मदर्शन का भाव है। यह कोरी अभिव्यक्ति नहीं है। साध्वी दक्षप्रभाजी ने कार्यक्रम का संचालन किया। सरस्वती बेन ने गीतिका प्रस्तुत की। मल्लाराम, पिंटु चौधरी भीयाराम, नारायण कुमावत, ताराचंद, प्यारेलाल, प्रकाश, संजु पोकरणा, रवि कोठारी, ओमप्रकाश सहित अनेक सदस्य कार्यक्रम में उपस्थित रहे।