अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म है सर्वाेत्कृष्ट मंगलरू आचार्यश्री महाश्रमण
जैन हाईस्कूल, बीकानेर,
12 जून, 2022
मानवता के महामसीहा, करुणासागर आचार्यश्री महाश्रमण जी ने आज भीनासर से विहार कर साध्वी सेवा केंद्र शांति निकेतन पधारे। वृद्ध माइत साध्वियों को दर्शन दिराकर एवं उनकी सारणा-वारणा कर धन्य-धन्य कर दिया। गुरु माता-पिता के समान होते हैं। लगभग आठ वर्ष से साधिक अंतराल के पश्चात परम पावन का यहाँ पधारना हुआ है। सभी सेवाग्राही एवं सेवादायी साध्वियों के मन में उल्लास था, वे गुरु दर्शन कर धन्य-धन्य स्वयं को महसूस कर रही थी। वहाँ से विहार कर गुरुदेव जैन हाईस्कूल पधारे। मार्ग में गंगाशहर में विराजित संतों ने पूज्यप्रवर के बाहर ही दर्शन किए। विशाल श्रावक-श्राविका समाज को मंगल पाथेय प्रदान करते हुए वात्सल्यमूर्ति ने फरमाया कि हमारी दुनिया में मंगलकामना की जाती है। आदमी स्वयं का भी मंगल, हित, कल्याण चाहता है। मंगल के लिए शब्दिक कामना भी की जाती है और कुछ प्रयत्न भी किया जाता है कि मंगल हो। यात्रा या विशेष अवसर पर शुभ मुहूर्त भी देखने वाले प्रयास करते हैं। कुछ पदार्थों का सेवन भी मुहूर्त या मंगल के संदर्भ में गुड़, जलेबी, दही आदि-आदि का करने वाले कर सकते हैं। धर्मशास्त्र में भी मंगल की बात आई है। सबसे बड़ा मंगल धर्म होता है। धर्म हमारे साथ है, तो मानना चाहिए कि मंगल हमारे साथ है। दुनिया में अनेक धर्म-संप्रदाय है। कौन सा धर्म मंगल है। शास्त्रकार ने यहाँ किसी संप्रदाय का नाम नहीं लिया। श्लोक के एक चरण में अति संक्षेप में धर्म को बता दिया। बताया-अहिंसा, संयम और तप धर्म है।
कोई आदमी अहिंसा की आराधना करता है, तो वह मंगल प्राप्त कर सकता है। संयम की साधना करने वाला मंगलमय बन सकता है। जो तप तपता है, वह मंगलयुक्त बन सकता है। कोई प्राणी हंतव्य नहीं है। प्राणियों की हिंसा मत करो। सब जीव जीना चाहते हैं, कोई मरना नहीं चाहता। व्यवहार भी अहिंसापूर्ण हो। जो व्यवहार तुम दूसरों से नहीं चाहते, वह व्यवहार तुम भी दूसरों के साथ मत करो। तुम्हें कोई गाली दे, मारे-पीटे, कोई अपमान कर दे, वह तुम्हें अच्छा नहीं लगता तो तुम भी दूसरों के साथ ऐसा मत करो। सबको अपने समान समझो। यह अहिंसा की चेतना है। साधु के तो जिंदगी भर हिंसा से विरत रहने का संकल्प होता है।
जैन साधुओं के तो अनेक अहिंसा से संबंधित नियम हैं। साधु भ्रामरीवृत्ति से जीवन चलाएँ। गृहस्थों के जीवन में भी अहिंसा की भावना रहे। व्यवहार में भी अहिंसा रखें। आदमी गुस्सा न भी करे। गुस्सा करना आदमी की कमजोरी है। आदमी धैर्य-शांति रखे। आदमी दया, करुणा रखे। आदमी खानपान, वाणी का संयम रखे। झूठा आरोप न लगाएँ। कटु भाषा से बचें, वाणी में मधुरता रखें। आदमी यथार्थ भाषी, मधुर भाषी और मितभाषी हो। स्वाध्याय-ध्यान करना भी तप है। जीवन में तप होता है, तो मंगल होता है। अहिंसा, संयम, तप मंगल है। धर्म अपने आपमें मंगल है। जिसका मन सदा धर्म में रमा रहता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं। देवों के लिए साधु वंदनीय है। साधु के लिए कोई देवता वंदनीय नहीं होता है।
जीवन में नशामुक्तता रहे। हम लोग तीन बातें सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति की बताते हैं। ये तीन बातें जीवन में रहती हैं, तो जीवन अच्छा रह सकता है। आज बीकानेर आना हो गया है। इन तीन बातों से आत्मा का कल्याण हो सकता है। 2014 में भी बीकानेर आना हुआ था। बीकानेर का अपना महत्त्व है।
आज बाहर के लोग भी काफी संख्या में पहुँचे हैं। पंजाब से भी अच्छी संख्या में श्रावक आए हैं। 2024 का चातुर्मास यथासंभव 5 सितंबर को फरमाने का भाव है।
पंजाबवासियों को पूज्यप्रवर ने लगभग 70-75 मिनट की सेवा करवाई। पूज्यप्रवर ने फरमाया कि पंजाब की लंबी यात्रा करने का भाव 2026 के बाद है।
मुख्य मुनिप्रवर ने कहा कि भारतीय साहित्य में गुरु का बहुत महत्त्व है, ऊँचा स्थान है। गुरु शब्द का अर्थ हैµगु यानी अंधकार और रु यानी विरोध करने वाले। जो अंधकार का विरोध करते हैं, वे गुरु होते हैं। गुरु हमारे अज्ञान और मोहरूपी अंधकार को दूर करते हैं। सच्चे गुरु की प्राप्ति होना भी बड़े भाग्य की बात होती है। हमारे जीवन में तीन चीजेंµदेव, गुरु और धर्म होते हैं। गुरु सच्चे नहीं तो देव और धर्म भी ठीक नहीं। हम गुरुदेव के प्रवचनों को जीवन में उतारने का प्रयास करें। साध्वी कनकरेखाजी जिनका आगामी चातुर्मास बीकानेर होने वाला है, साध्वीश्री जी ने पूज्यप्रवर का स्वागत करते हुए बताया कि गुरु की सन्निधि जीवन की महान उपलब्धि होती है। पूज्यप्रवर के स्वागत-अभिनंदन में तेरापंथ सभाध्यक्ष पदमचंद बोथरा, जैन पाठशाला अध्यक्ष विजयचंद कोचर, महिला मंडल अध्यक्षा प्रेम देवी नौलखा, तेरापंथ समाज की समुह प्रस्तुति, संजय बोथरा, टीम अनोपचंद बोथरा, बोथरा परिवार, दीप्ति बोथरा, त्यागवृद्धि ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। आभार ज्ञापन जेठमल बोथरा ने किया। जैविभा व अभातेयुप व समण संस्कृति संकाय के संयुक्त तत्त्वावधान में सम्यक् दर्शन कार्यशाला एवं मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव के बैनर का अनावरण पूज्यप्रवर की सन्निधि में किया गया।