ज्ञान और धन का कभी ना करें घमंड: आचार्यश्री महाश्रमण
पलाना, 10 जून, 2022
आचार्य तुलसी के परंपर पट्टधर आचार्यश्री महाश्रमण जी अपने दादा गुरु की महाप्रयाण भूमि की ओर अग्रसर हैं। कल गंगाशहर की सीमा में परम पावन पधारने वाले हैं। आज परमपूज्य का पलाना पदार्पण हुआ। तेरापंथ के सारथी आचार्यश्री महाश्रमण जी ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि मानव जीवन को जीने का एक लक्ष्य होना चाहिएµमोक्ष की प्राप्ति। मैं, मेरी आत्मा मोक्ष की दिशा में आगे बढ़े। मोक्ष वह स्थिति है, जहाँ कोई दुःख नहीं होता। सारे दुःखों से मुक्ति मिल जाती है। न वहाँ शरीर होता है, न वाणी रहती है, न मन होता है।
मोक्ष की प्राप्ति के लिए साधना की अपेक्षा होती है। अपनी चेतना को विकृतियों से मुक्त बनाने की अपेक्षा होती है। कषायमुक्त होना ही मुक्ति है। जब तक राग-द्वेष है, उसके लिए मोक्ष का द्वार खुलता नहीं है। जो चंडैल-गुसैल होता है, वो मुक्ति को प्राप्त नहीं हो सकता। गुस्सा तो मनुष्य का शत्रु है। आदमी को शांत रहना चाहिए। एक दृष्टांत से समझाया कि मानव जीवन मिला है, संत नहीं बन सको तो दुर्जन तो नहीं बनना चाहिए। सदाचार शांति का जीवन हो। भला किसी का न कर सको तो बुरा तो किसी का नहीं करना चाहिए। मानव जीवन में सज्जनता होनी चाहिए। किसी प्राणी को दुःख नहीं देना चाहिए। घमंड़ भी नहीं करना चाहिए। ज्ञान हो या धन किसी का भी घमंड़ नहीं करना चाहिए। चुगलखोरी नहीं करनी चाहिए। बिना सोचे कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। अनुशासन में रहें। विनय करें, धर्म को समझें। मानव जीवन अच्छा रहे। धार्मिक साधना करें। सदाचार, सद्विचार हो तो मोक्ष प्राप्त हो सकता हैं गृहस्थ जीवन में भी मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है। किसी की धार्मिक मदद करें। हम मोक्ष प्राप्ति के लिए शांति से जीएँ। अच्छी धर्म की साधना करें। पूज्यप्रवर के स्वागत में पलाना की ओर से परताराम चौधरी ने अपनी भावना अभिव्यक्त की, संस्मरण बताए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने समझाया कि हम यथार्थ को ग्रहण करें। विरोधों से डरें नहीं।