हर व्यक्ति रहे अपने कर्तव्य के प्रति जागरूक: आचार्यश्री महाश्रमण
गुसांईसर, 20 जून, 2022
श्रमण परंपरा के शिखर पुरुष आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि जो लोग अपने कर्तव्य-अकर्तव्य को नहीं जानते हैं, उनका कभी भी ऐसा अनिष्ट हो सकता है, जिसके बारे में उन्हें कल्पना ही नहीं है। कर्तव्य जिसका जो होता है वह उसके लिए महत्त्वपूर्ण होता है। कर्तव्य अलग-अलग हो सकता है, पर जिसका जो कर्तव्य है, उसमें व्यक्ति प्रमाद न करे। माता-पिता का कर्तव्य संतान के प्रति होता है कि वे लालन-पालन के साथ अच्छे संस्कार अपने बालक को दें। गलत काम को रोका नहीं तो वह अहितकर हो सकता है। यह एक प्रसंग से समझाया कि बचपन में छोटी चोरी करने वाले को नहीं रोकने से वह बड़ा चोर बन सकता है। माता-पिता बालक को अच्छे संस्कार दें, यह भी एक प्रसंग से समझाया।
संतान का भी माता-पिता के प्रति कर्तव्य होता है कि वह उनकी आज्ञा का पालन करे, उनका सम्मान करे। शिक्षक का विद्यार्थी के प्रति कर्तव्य होता है कि वह विद्यार्थी को अच्छा ज्ञान दे। यह भी एक प्रसंग से समझाया। सरकार का कर्तव्य है कि जनता की सेवा करे। जनता का भी कर्तव्य है कि वह पूरा टेक्स चुकाए। आदमी ध्यान दे कि मेरा क्या कर्तव्य है।
साधु का भी कर्तव्य है कि वह अपने श्रावकों को अच्छा ज्ञान दे। सेवा का भी ध्यान रखे। सेवा की भावना हो तो खेतसी स्वामी जी जैसी। यह कर्तव्य भावना है। आदमी राजनीति में काम करे या समाज में काम करे, उसमें अप्रमाणिकता न हो। कर्तव्य के प्रति जागरूक रहे तो आदमी आगे भी बढ़ सकता है और आत्मा का कल्याण धार्मिक कार्यों से हो सकता है। साधु के उपदेशों का भी अच्छा असर हो सकता है। आज गुसांईसर आए हैं। यहाँ भी खूब धार्मिक, आध्यात्मिक शांति रहे। यहाँ से चौपड़ा, ललवानी व सामसुखा परिवार से होते थे। अब गंगाशहर बस गए। सबमें खूब अच्छा रहे।
परम पावन के स्वागत में स्थानीय सरपंच रामकैलाश गोदारा, स्थानीय पटवारी राकेश बिश्नोई, कांतिलाल चौपड़ा, नेमचंद चौपड़ा, चौपड़ा परिवार की बहनें, महेंद्र कुमार ललवानी, ललवानी परिवार की बहनों ने गीत, राजेंद्र चौपड़ा ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि दिनेश कुमार जी ने कहा कि देवता भी तीर्थंकर की सेवा में उपस्थित रहते हैं।