चित्त को कलुषित करने वाले होते हैं कषाय: आचार्यश्री महाश्रमण
लाछड़सर, 29 जून, 2022
श्रमण परंपरा के शिखर पुरुष आचार्यश्री महाश्रमण जी आज 14 किलोमीटर विहार कर लाछड़सर पधारे। अमृत देशना प्रदान करते हुए अमृत पुरुष ने फरमाया कि एक शब्द है-कषाय। जिसके द्वारा पाप कर्म का आगमन होता है, वह कषाय है। चित्त को जो कलुषित करने वाले तत्त्व हैं, वे कषाय है। कषाय के चार प्रकार बताए गए हैं-क्रोध, मान, माया और लोभ। ये चारों एक विकार हैं, जो हमारी चेतना को मलिन बनाने वाले होते हैं। किसी ने कुछ ऐसा-सा कह दिया, आदमी गुस्से में आ जाता है। गुस्सा हमारी कमजोरी व हमारा शत्रु है। आदमी गुस्से में गलत निर्णय ले सकता है। गुस्से में कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए। शांति में निर्णय लें।
शास्त्र में कहा गया है कि उपशम के द्वारा गुस्से को खत्म करो, शांति की साधना करो। गुस्सा व्यवहार की दृष्टि से या आत्मा की दृष्टि से भी काम का नहीं होता है। घर-परिवार में भी गुस्सा न हो। यह एक प्रसंग से समझाया कि खुद भला तो जग भला। गुस्सा एक तरह का विष है, जो हमारे परिवार की शांति को नष्ट कर सकता है। व्यवहार प्रशिक्षण देकर भी गुस्से को शांत किया जा सकता है। घर में रहो या समाज में, धर्मनीति में रहो या राजनीति में, ये गुस्सा काम का है ही नहीं। साधु का तो धर्म है कि गुस्से को प्रतनू बनाओ। संत वह होता है, जो शांत होता है। गृहस्थों को भी प्रायः-प्रायः गुस्से से बचने का प्रयास करना चाहिए। क्षमा धारण करने वाला बड़ा आदमी होता है।
हमें जीवन में अनुकूल-प्रतिकूल परिस्थिति में सहन करना, शांति रखनी चाहिए। गुस्सा भी एक प्रकार का नशा है, इससे विरत रहने का प्रयास करना चाहिए। गुरुदेव तुलसी ने कहा है-गुस्सा रूपी साँप है, उसको वश में रखने का, शांत रखने का प्रयास करें, यह काम्य है। आज चुरू जिले में आना हो गया है। घोषित चतुर्मास ताल छापर चुरू जिले में ही है। चुरू जिले में छापर का चतुर्मास खूब लाभ देने वाला हो, धर्म की साधना-आराधना अच्छी हो। चुरू जिले में धर्म की प्रभावना अच्छी होती रहे, यह हमारी मंगलकामना है। आज लाछड़सर आना हुआ है। यहाँ भी खूब धर्म की प्रभावना रहे। गाँव के लोगों को तीन संकल्प समझाकर स्वीकार करवाए।
पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय विद्यालय से शुराराम गांधी, रतनगढ़ पंचायत समिति से मोहनीदेवी खीचड़ की ओर से इंद्रराज, रतनगढ़ के विधायक अभिनेश महर्षि, स्कूल प्रिंसिपल चेतन चौहान, छापर चतुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष माणकचंद नाहटा ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।