आचार्य तुलसी का चिंतन सार्वभौम सर्वजनहितकारी था

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आचार्य तुलसी का चिंतन सार्वभौम सर्वजनहितकारी था

डेगाना।
तेरापंथी सभा, डेगाना के तत्त्वावधान में आयोजित आचार्यश्री तुलसी की 26वीं पुण्यतिथि तेरापंथ जैन भवन में मुनि चैतन्य कुमार ‘अमन’ के सान्निध्य में मनाई गई। इस अवसर पर मुनिश्री ने कहा कि आचार्य तुलसी का चिंतन सार्वभौम सर्वजनहितकारी था। एक संप्रदाय विशेष के आचार्य होते हुए मानवीय हितों को सर्वोपरि महत्त्व दिया। उनका जीवन कलापूर्ण उपयोगितापूर्ण एवं परोपकार पारायण रहा। इसीलिए उनके जीवन को विशिष्ट माना गया है। उन्होंने लोककल्याण के लिए संपूर्ण भारत की पदयात्रा की और लोगों में नैतिकता, सद्भावना, समन्वय, सहयोग और सेवा भावना की अलख जगाई। मुनि सुबोध कुमार जी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी उस शख्स का नाम है जो अपने लिए नहीं बल्कि दुनिया के लिए जीया और दुनिया को जीना सिखाया। उन्होंने अनेक अवदान दिएµप्रेक्षाध्यान, जीवन-विज्ञान, नया मोड देकर नारी जाति को रूढ़िमुक्त बनाने का भरसक प्रयत्न किया।
अर्हत् वंदना के सामुहिक संगान के पश्चात महिलाओं द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया। सभाध्यक्ष पुखराज चोरड़िया, आगंतुक महानुभावों के स्वागत में अपने विचार प्रस्तुत किए। सुसवाणीमाता गौशाला ईड़वा के विशिष्ट सेवाभावी महावीर सुराणा, विमल कोठारी, नटवरलाल सारड़ा, सोनल चोरड़िया, ए0यू0 बैंक मैनेजर वर्धमान जैन, बालक प्रियांशु बालिका प्राची, मोक्षा, ध्रुवा, उर्वशी, ईशिता, सुहानी, लक्षिता तथा ईड़वा से सुनीता सुराणा, दीपा चोरड़िया आदि ने गीत, कविता, वक्तव्य आदि से अपने भावों की प्रस्तुति दी। सदस्यों ने गीत का संगान किया। आभार ज्ञापन रिखब चोरड़िया ने किया। कार्यक्रम के अंत में महिलाओं एवं बालक-बालिकाओं को उत्साहवर्धन हेतु पुरस्कार वितरण किए गए। कार्यक्रम में ईडवा, बाजोली, गुलर आदि क्षेत्रों से श्रावक-श्राविकाओं ने उपस्थित होकर लाभ लिया।