जैन संस्कारों की सौगात कार्यशाला

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जैन संस्कारों की सौगात कार्यशाला

जोधपुर।
तेयुप, सरदारपुरा द्वारा शहर के पार्श्वनाथ सिटी में साध्वी जिनबाला जी के सान्निध्य में युवकों में संस्कारों के बीजारोपण हेतु ‘जैन संस्कारों की सौगात’ कार्यशाला का आयोजन किया गया। स्वागत वक्तव्य सुनील डागा ने किया। साध्वी महकप्रभाजी ने गीत से मंगलाचरण किया। साध्वी भव्यप्रभाजी ने बताया कि भगवान महावीर की वाणी है कि व्यक्ति स्वयं की आत्मा से युद्ध करे। हम क्रोध, मान, माया व लोभ आदि कषायों से लड़ें, उन्हें तोड़ने का प्रयास करें। युवक में वह सामर्थ्य है जो असंभव को संभव बना सके, अंधकार में प्रकाश ला सके और निराशा में आशा की लौ जला सके, बस आवश्यकता है अनुशासन की। साध्वीश्री जी ने विस्तार से जैन जीवनशैली के लक्षण बताए।
साध्वी करुणाप्रभाजी ने बताया कि किस प्रकार संस्कार छूटते जा रहे हैं। किस प्रकार जीवन में पाश्चात्य संस्कृति हावी होती जा रही है। हमारा लक्ष्य हो कि संस्कारों को पुष्ट करें। हमारे व्यवहार से, हमारी भाषा से जैनत्व झलके। हम सांस्कृतिक परंपरा को पुष्ट करें। अगर हम संस्कारों को नहीं अपनाएँगे तब भावी पीढ़ी किस प्रकार से संस्कारित होगी। साध्वीश्री जी ने युवकों और किशोरों को संबोधित करते हुए बताया कि किस प्रकार हमें अभिवादन करना चाहिए, साधु-साध्वियों के दर्शन करते समय हमारी वाणी कैसी हो। हम संयमी को सुपात्र दान की भावना रखें। हम वाणी की हिंसा से भी बचें।
साध्वी जिनबाला जी ने कहा कि तेयुप द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन एक शुभ संकेत है कि युवा पीढ़ी संस्कारों के बीजारोपण के लिए उत्सुक है। हम वंदना संयमी को, त्यागी को, पाँच महाव्रतधारी साधु को करें। गुणों की वंदना हो। ज्ञान दर्शन चारित्र को वंदन करें। वंदना से कर्मों की निर्जरा होती है। युवकों, किशोरों में संस्कारों के बीज का विकास होता रहे, यही मंगलकामना।
तेयुप अध्यक्ष महावीर चौधरी ने साध्वीश्री जी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और सभी संभागियों का आभार ज्ञापन किया। इस अवसर पर अभातेयुप के नेत्रदान व रक्तदान के प्रभारी कैलाश जैन, तेयुप सदस्य निर्मल छल्लाणी, विकास चौपड़ा, अक्षय दुगड़, सुनील डागा, वैभव दुगड़, चमन बांठिया, हर्ष बांठिया, राहुल छाजेड़, सौरभ बाफना, मनीष नाहटा, पंकज डागा, मनीष आदि की उपस्थिति रही।