तीन दिवसीय ज्ञानशाला संस्कार निर्माण शिविर
बालोतरा।
सिवांची-मालाणी क्षेत्रीय तेरापंथ संस्थान द्वारा तीन दिवसीय ज्ञानशाला संस्कार निर्माण शिविर का उद्घाटन किया गया। सर्वप्रथम शासनश्री साध्वी सत्यप्रभाजी के द्वारा नमस्कार महामंत्र के मंगल उच्चारण के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। मंगलाचरण में ज्ञानशाला के बच्चों के द्वारा ज्ञानशाला गीत की प्रस्तुति की गई। शासनश्री साध्वी सत्यप्रभाजी ने कहा कि वृक्ष का मूल है-बीज। बीज को पेड़ बनने का सफर संघर्षों से भरा है, लेकिन वह पेड़ फलवान बनकर लोगों के लिए उपयोगी बनता है। हमारा भविष्य उज्ज्वल और स्वर्णिम हो इसके लिए जरूरी है बच्चों को संस्कार दें।
शासनश्री साध्वी कमलप्रभाजी ने कहा कि हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना, जिससे हमारे चारित्र पर कोई दाग लगे। उच्च चारित्रवान व संस्कारवान बनने का प्रशिक्षण केंद्र है-ज्ञानशाला। साध्वी प्रमोदश्री जी ने कहा कि हमें स्वर्ग में जाने का और नरक में जाने का चिंतन नहीं करना बल्कि हमें इस धरा को ही स्वर्ग बनाना है, हमें आचार्यश्री तुलसी के सपनों को साकार करना है व अपने जीवन का विकास कर अच्छा बनाना है। साध्वी ध्यानप्रभाजी ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति से होने वाले दुष्प्रभाव को रोकने का सशक्त माध्यम है-ज्ञानशाला।
सिवांची-मालाणी क्षेत्रीय तेरापंथ संस्थान के अध्यक्ष डूंगरचंद सालेचा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया एवं शिविर की जानकारी देते हुए बताया कि 9 वर्ष से 14 वर्ष तक 245 बच्चों का रजिस्ट्रेशन हुआ। साध्वीवृंद द्वारा सामुहिक गीत की प्रस्तुति दी गई। शासनसेवी पुखराज तलेसरा ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। इस कार्यक्रम में अनेक महानुभाव व संस्थान के पदाधिकारी सदस्यगण उपस्थित थे। बालोतरा, जसोल, तेयुप व महिला मंडल कार्यकर्ता ने कार्यक्रम में सहयोग प्रदान किया। इसके साथ सभी क्षेत्र से 25 प्रशिक्षकों ने अपना सहयोग प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन शिविर संयोजक गौतम वेदमूथा ने किया।