तप अभिनंदन एवं मुमुक्षु रोशनी का मंगलभावना समारोह
कशनगंज (बिहार)।
तपस्या शूरवीरों का काम है। आत्मबल, संकल्पबल के साथ-साथ तपस्या की जाती है। शरीर के साथ-साथ कषायों को भी तापना जरूरी है। आज इस उपभोग की संस्कृति में अपने आपको संयमित करना आत्मबल का परिचय है। निम्न बातें साध्वी संगीतश्री जी ने तेरापंथ भवन में आयोजित तप अभिनंदन एवं मंगलभावना समारोह कार्यक्रम में कहीं। तेरापंथ भवन में साध्वी संगीतश्री जी अपनी तीनों साध्वियों के साथ चार माह के प्रवास पर हैं। इन चार माह में तेरापंथ धर्मसंध के अनुयायी आध्यात्मिक जीवन जीने की प्रेरणा ले रहे हैं। इसी क्रम में सुमित कोठारी, आस्था बैद, हीरा बैद और हर्षा बैद निराहार तपस्या कर रही हैं। इसके साथ-साथ कोलकाता से आई मुमुक्षु रोशनी का मंगलभावना समारोह आयोजित हुआ। मुमुक्षु रोशनी दीक्षार्थी है और आगामी दिनों में आचार्यश्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में गृहस्थ जीवन से साधु जीवन में प्रवेश करेगी, वह दीक्षा लेकर साध्वी बनेगी।
साध्वी संगीतश्री जी ने मंगल गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने दीक्षा के बारे में कहा कि दीक्षा आत्मा तक पहुँचने का मार्ग है। दीक्षा स्वयं के द्वारा स्वयं की खोज है। मुमुक्षु रोशनी गुरुचरणों में जा रही है, उन्होंने रोशनी से कहा कि तुम गुरु दृष्टि की आराधना करते रहना। तेरापंथ धर्मसंघ की दीक्षा-एक गुरु, एक विधान का महान उपक्रम है। अध्यात्म यात्रा का महान उपक्रम है। इसी क्रम में साध्वी कमलविभा जी व साध्वी मुदिताश्री जी ने दीक्षार्थी रोशनी व निराहार रहकर तपस्या करने वाले उपस्थित चार तपस्व्यिों के प्रति मंगलभावना की व आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम में महासभा संरक्षक डॉ0 राजकरण दफ्तरी, सभाध्यक्ष विमल दफ्तरी, महिला मंडल अध्यक्ष संतोष देवी दुगड़ सहित अनेक जन कार्यक्रम में उपस्थित थे। कार्यक्रम में खुशकीबाग, रायगंज, पूर्णिया, इस्लामपुर आदि क्षेत्रों के साथ-साथ स्थानीय लोगों की अच्छी उपस्थिति रही।