ज्ञानशाला - संस्कार निर्माण की कार्यशाला
जलगाँव।
तेरापंथ सभा के अंतर्गत पर्युषण महापर्व के पाँचवें दिन ‘कैसे हो संस्कारों का निर्माण कार्यशाला’ का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम ज्ञानशाला के नन्हे बच्चों गीत से मंगलाचरण किया। उपासक सूरजमल सूर्या ने कहानी आदि के माध्यम से बच्चों को संबोधित किया। उपासक प्राध्यापक निर्मल नौलखा ने कहा कि बच्चों को सर्वांगीण विकास में अध्यापक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। दूरगामी सोच, अहं भाव त्यागकर संगठन व अनुशासन के प्रति निष्ठावान बनें।
सभाध्यक्ष जितेंद्र चोरड़िया ने विचार रखे और ज्ञानशाला की मुख्य प्रशिक्षिका विनीता समदरिया ने कहा कि आचार्य तुलसी के अवदानों में सबसे श्रेष्ठ, सबसे सुंदर अवदान है-ज्ञानशाला। इसके महत्त्व को हम सभी को समझना होगा। इस अवसर पर महिला मंडल अध्यक्ष नम्रता सेठिया, ज्ञानशाला संयोजक नोरतमल चोरड़िया, वरिष्ठ श्रावक-श्राविकाएँ उपसिथत रहे। सहसंयोजिका मोनिका छाजेड़, मैना देवी छाजेड़, रीतू छाजेड़, श्रद्धा चोरड़िया का सहयोग मिला। कार्यक्रम का संचालन ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका दक्षता सांखला और आभार ज्ञापन रोनक चोरड़िया ने किया।