क्षमापना पर्व हमें मैत्री, निर्भयता, प्रसन्नता और भावशुद्धि प्रदान करता है: आचार्यश्री महाश्रमण
ताल छापर, 1 सितंबर, 2022
मैत्री दिवस-क्षमापना दिवस का पावन पर्व। क्षमामूर्ति आचार्यश्री महाश्रमण जी ने पावन प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि उत्तरज्झयणाणि में कहा गया है कि क्षमापना करने से जीव को क्या उपलब्ध होता है? उत्तर दिया गया कि क्षमापना भाव से प्रसन्नता की अनुभूति होती है। प्राहाल्लाद भाव को जीव प्राप्त कर लेता है तो सबके प्रति मैत्री उत्पन्न हो जाती है। मैत्री भाव को प्राप्त हुआ जीव भाव विशोद्धि को करता है। भाव विशोद्धि करके वह निर्भय बन जाता है। क्षमापना से बहुत बड़ा लाभ है-प्रसन्नता, मैत्री भाव प्राणियों के साथ और भाव-विशुद्धि एवं निर्भयता। क्षमापना मैत्री का महत्त्वपूर्ण उपक्रम है।
हमने अष्टाह्निक महापर्व संवत्सरी की आराधना की। एक-दूसरे सभी के प्रति हमारे मन में मैत्री भाव रहे। जिनसे विशेष काम पड़ गया हो उनसे खमतखामणा कर विशेष रूप से हल्का-फुल्का बन जाना चाहिए। साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी नहीं रहीं। हमारे संघ की एक विभूति अदृश्य हो गई। आज उनके बिना हमारा यह खमतखामणा का कार्यक्रम हो रहा है। मैं उनकी आत्मा से खमतखामणा करता हूँ। आचार्यप्रवर ने खमतखामणा के क्रम में नवमनोनीत साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी को संबोधित करते हुए फरमाया कि आपसे व्यक्तिगत रूप से ज्यादा काम पड़ता है तो हम आपसे भी खमतखामणा करते हैं। साध्वीप्रमुखाश्री जी ने खड़े होकर पूज्यप्रवर की अभिवंदना की। तत्पश्चात आचार्यप्रवर ने साध्वीवर्याजी, मुख्यमुनिश्री, साधु-साध्वीवृंद, समणीवृंद, मुमुक्षु बाईयों एवं भाइयों, बहिर्विहारी साधु-साध्वीवृंद, बहुश्रुत परिषद संयोजक मुनि महेंद्र कमार जी आदि सभी से खमतखामणा की।
आचार्यप्रवर ने उपासक श्रेणी, छापर चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष केंद्रीय संस्थाओं के पदाधिकारियों, विकास परिषद के सभी सदस्यों से बारंबार खमतखामणा की। ऋजुता के शिखर पुरुष ने जैन शासन के सभी आचार्यों, उपाध्यायों, साधु-साध्वीवृंद, जैनेत्तर धर्मगुरुओं को भी खमतखामणा की। इसी क्रम में गणयुक्त साधु समाज, गुरुकुलवास के कर्मचारियों, राजनीति, न्याय से जुड़े लोगों से भी खमतखामणा की। आचार्यप्रवर ने चतुर्विध धर्मसंघ के सभी सदस्यों से खमतखामणा करते हुए 84 लाख जीव योनियों से खमतखामणा की।
कल परमपूज्य कालूगणी का महाप्रयाण दिवस भाद्रवा सुदी छठ है। श्रावक समाज के श्रावक व्रत में कोई दोष लग गया हो तो एक वर्ष की आलोयणा है-तीन उपवास, प्रत्येक उपवास में सात माला नवकार मंत्र की। उपवास न हो सके तो एक उपवास के बदले दो एकासना कर लें। एकाशन भी न हो सके तो एक उपवास के बदले बारह माला नवकार मंत्र की। कुल 57 मालाएँ होंगी। चारित्रात्माओं के परिष्ठापन संबंधी द्रव्य हिंसा का काम हो गया हो तो हमें एक-एक उपवास की आलोयणा स्वीकार कर लें।
हम खमतखामणा से अपनी आत्मा को हल्का बनाने का, अच्छा बनाने का प्रयास करें, यह काम्य है। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि जब मैत्री हमारे भीतर आती है तो बैर हमारा दूर हो जाता है। हमें बैर के वायरस को दूर करना है। उसकी जगह क्षमा का वायरस इन्सटॉल करना है। इससे हम निर्भार और हल्के बन गए। सबको अपना मित्र बना लिया। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी ने कहा कि हमने मैत्री-क्षमा पर्व की आराधना की। इससे हमारी आभा की शुद्धि होनी चाहिए। हमें औपचारिकता नहीं निभानी है। मानसिक और भावनात्मक स्तर पर क्षमायाचना करनी है, तभी हम आत्मा की शुद्धि कर पाएँगे। साधुओं ने साध्वियों से, साध्वियों ने साधु से, श्रावक-श्राविकाओं ने सभी से परस्पर खमतखामणा की। व्यवस्था समिति अध्यक्ष एवं संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी पूज्यप्रवर आदि सभी से खमतखामणा की।
साध्वी समाज की ओर से साध्वी जिनप्रभा जी ने आचार्यश्री को सविधि वंदन करते हुए क्षमायाचना की तो साधु समाज की ओर से मुनि दिनेश कुमार जी ने विधिवत वंदन कर आचार्यश्री से क्षमायाचना की। जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के आंचलिक प्रभारी व चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति-छापर के महामंत्री नरेंद्र कुमार नाहटा ने तेरापंथ समाज की ओर से उपस्थित श्रद्धालुओं के साथ आचार्यश्री से क्षमायाचना की। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष विजयसिंह सेठिया, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष सौरभ भूतोड़िया, तेममं की अध्यक्ष सरिता सुराणा, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष प्रदीप सुराणा, आवास व्यवस्था के संयोजक निर्मल दुधेड़िया, भोजन व्यवस्था के संयोजक लक्ष्मीपत भंसाली, चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष माणकचंद नाहटा, पारमार्थिक शिक्षण संस्था के अध्यक्ष बजरंग जैन, अमृतवाणी के महामंत्री अशोक पारख, जैन विश्व भारती के अध्यक्ष मनोज लुणिया व अणुविभा के महामंत्री भीखमचंद सुराणा ने भी आचार्यश्री से अपनी-अपनी संस्थाओं की ओर से क्षमायाचना की। कार्यक्रम में आचार्यश्री ने अठाई करने वाली साध्वी प्रफुल्लप्रभा जी और साध्वी श्रुतिप्रभा जी को संदेश प्रदान कराया। क्षमापना का कार्यक्रम आचार्यश्री के मंगलपाठ से संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।