रिश्तों में प्रेम हो

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रिश्तों में प्रेम हो

बालोतरा।
मुनि मोहजीत कुमार जी ने ‘परिवार में प्रिय कैसे बनें’ विषय पर कहा कि वर्तमान के समय में परिवारों के आपसी रिश्तों में बिखराव हो गया है। संयुक्त परिवार एकल परिवार की ओर बढ़ने लग गए। इन सभी का महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि रिश्तों में प्रियता, प्रेम समाप्त हो गया है। मुनिश्री ने कहा कि कुछ सूत्रों के माध्यम से रिश्तों में आपसी प्रेम बढ़ाया जा सकता है। अपने घर में जो बुजुर्ग, माता-पिता और भी अन्य कोई हमसे बड़े सीनियर हों उसे सदैव प्रणाम करें। इससे व्यक्ति में विनम्रता के गुणों का विकास होता है और सीनियर व्यक्तियों में सम्मान का भाव विकसित होता है। परिवार में सभी रिश्तों को जीने का प्रयास करना चाहिए। रिश्तों से दूर न रहकर उसका सदैव आनंद उठाएँ। चेहरे पर सदा मुस्कान रहे ताकि रिश्तों में सकारात्मकता रहे। मन के भीतर उदारवादी दृष्टिकोण का विकास करें। जिससे व्यर्थ के क्लेश से बचा जा सकता है। रिश्तों के सुन्दर निर्माण के परिवारजनों में विश्वास की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। एक-दूसरे पर सम्पूर्ण विश्वास रखें और विश्वास पर खरा उतरने का भी प्रयास करें। मुनिश्री ने छोटे-छोटे बिंदुओं के माध्यम आपसी सौहार्द और भाईचारे को बढ़ाने की प्रेरणा दी। मुनि भव्यकुमार जी ने भी परिवार में रिश्तों को कैसे मजबूत और सुंदर बनाया जाए इस पर फरमाया। मुनिश्री जयेश कुमार ने अपनी गीतिका के माध्यम से आमजन को रिश्तों की महत्ता और रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने पर जोर दिया।