अणुविभा में दीर्घा उद्घाटन व सम्मान समारोह

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अणुविभा में दीर्घा उद्घाटन व सम्मान समारोह

राजसमंद।
अणुव्रत का दर्शन वैश्विक समस्याओं का समाधान प्रदत्त करता है। यह भारतीय संत परंपरा की उज्ज्वल विरासत है कि उसने दुनिया को समय-समय पर सद्मार्ग दिखाया है। जब देश आजादी के जश्न के साथ-साथ विभाजन की विभीषिका के दौर से गुजर रहा था, 34 वर्ष के युवा संत आचार्यश्री तुलसी भारत के भविष्य की नब्ज टटोल रहे थे। उन्होंने तब ‘असली आजादी अपनाओ’ का आह्वान किया और अणुव्रत दर्शन दुनिया के सामने रखा। अमेरिका की विश्व प्रसिद्ध टाइम मैगजीन ने अपने आर्टिकल में लिखा था कि छोटे कद का एक युवा संत अणुबम से मुकाबला करने के लिए अणुव्रत की बात कर रहा है। तब पूरी दुनिया का ध्यान आचार्य तुलसी और अणुव्रत की ओर आकर्षित हुआ था। ये विचार केंद्रीय संस्कृति एवं संसदीय कार्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने अणुव्रत विश्व भारती में आयोजित सम्मान समारोह में व्यक्त किए।
अर्जुनराम मेघवाल ने जी-20 समूह के अध्यक्षीय दायित्व भारत को मिलने को एक महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम बताया। उन्होंने कहा कि अणुव्रत और अणुविभा के प्रति मेरी विशेष रुचि है। अणुविभा का यह मुख्यालय बहुत ही मनभावना है। बच्चों के लिए प्रेरणा देता है। इसकी नींव में मोहनभाई का श्रम मुखरित हो रहा है। मैं चाहता हूँ कि अणुव्रत आंदोलन के 75 वर्ष की संपूर्ति पर यह आंदोलन देश-विदेश में अधिक से अधिक फैले। कार्यक्रम को सान्निध्य प्रदान करते हुए साध्वी मंजुयशा जी ने कहा कि अणुव्रत विश्व भारती आज देश-विदेश में अणुव्रत आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाली
संस्था बन गई है। राजसमंद में अणुविभा का यह केंद्र बहुत ही रमणीय है। मोहनभाई के श्रम व त्याग को उनका पुत्र संचय जैन बहुत ही समर्पण भाव से आगे बढ़ा रहा है। आज जिन महानुभावों का सम्मान किया जा रहा है उनका अहम् योगदान संस्था के विकास में योगभूत बना है। आचार्य तुलसी के सपनों का समाज और विश्व बनाने के लिए प्रयासरत रहना हम सबका कर्तव्य है। कार्यक्रम के पूर्व अणुविभा मुख्यालय चिल्ड्रन्स पीस पैलेस की विभिन्न दीर्घाओं के आधुनिकीकरण का लोकार्पण किया गया। अणुव्रत तुलसी दर्शन का उद्घाटन बैंगलोर प्रवासी सायर हीरालाल मालू, महावीर महात्मा महाप्रज्ञ अहिंसा दीर्घा को दिल्ली प्रवासी तेजकरण सुराणा, मोहनभाई अतिथि गृह के द्वितीय तल का मुंबई प्रवासी सुमतिचंद गोठी एवं ‘हार्मनी’ सीप एंड शॉप का उद्घाटन सूरत प्रवासी शांतिलाल सोलंकी ने किया। इस नवीनीकरण के माध्यम से इस केंद्र का आकर्षण और उपयोगिता दोनों में अभिवृद्धि हुई है। इस अवसर पर विधायक दीप्ति माहेश्वरी, नगर परिषद सभापति अशोक टॉक जिला कलेक्टर नीलाभ सक्सेना, पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी उपस्थित थे।
अणुविभा केंद्रीय टीम से प्रताप दुगड़, राजेश सुराणा, अशोक डूंगरवाल, कोषाध्यक्ष राकेश बरड़िया, संगठन मंत्री कन्हैयालाल चिप्पड़, डॉ0 राकेश तैंगल, प्रकाश तातेड़, मर्यादा कोठारी, डॉ0 नीना कावड़िया, अभिषेक कोठारी, डॉ0 सीमा कावड़िया, अणुविभा के न्यासी सुरेश कावड़िया, गणेश कच्छारा, अणुविभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ0 सोहनलाल गांधी एवं निर्मल रांका, तेरापंथ विकास परिषद सदस्य पदमचंद पटावरी, अणुव्रत प्रवक्ता डॉ0 महेंद्र कर्णावट, डॉ0 बसंतीलाल बाबेल, डॉ0 वीरेंद्र महात्मा आदि उपस्थित थे।
स्वागत भाषण में अणुविभा के अध्यक्ष संचय जैन ने कहा कि राजसमंद की इस भूमि और इस संस्था की नींव को प्राप्त आचार्य तुलसी के चरण स्पर्श का प्रभाव है कि यह संपूर्ण अणुव्रत आंदोलन का मुख्यालय बन गया है। हमें इस बात का गौरव है कि हम इस संस्थान व आंदोलन को अणुव्रत के सिद्धांतों के अनुरूप पूर्ण शुचिता के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। संस्थागत, कार्यकारी और आर्थिक शुचिता की दृष्टि से संस्था द्वारा उठाए गए कदमों से अणुव्रत के प्रति लोगों की आस्था और भी बढ़ गई है। जैन ने अणुविभा के विकास में योगभूत रहे, भामाशाहों का अभिनंदन करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी के आशीर्वाद से मोहनभाई ने जिस केंद्र की यहाँ स्थापना की, आज वो एक नए व निखरे स्वरूप में हमारे सामने है।
तेजकरण सुराणा, हीरालाल मालू, सुमतिचंद गोठी, देवेंद्र सोलंकी ने भी अपने विचार व्यक्त किए और इसे अपना सौभाग्य बताया कि इस संस्था के विकास में वे सहयोगी बन सके। डॉ0 सोहनलाल गांधी, अविनाश नाहर ने अपने विचार व्यक्त किए। अणुविभा के महामंत्री भीखम सुराणा ने कार्यक्रम का संचालन किया। आभार ज्ञापन सहमंत्री जगजीवन चौरड़िया ने किया। कार्यक्रम का प्रारंभ सुभाष पब्लिक स्कूल के बच्चों द्वारा अणुव्रत गीत से हुआ।