जप ऊर्जा अनुष्ठान का भव्य आयोजन जयाचार्य योग सिद्धपुरुष थे

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जप ऊर्जा अनुष्ठान का भव्य आयोजन जयाचार्य योग सिद्धपुरुष थे

चेन्नई।
साहूकारपेट स्थित तेरापंथ भवन में समायोजित विशेष अनुष्ठान के अवसर पर साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि जैन धर्म में आत्म साधना का विशेष स्थान है। तेरापंथ के आद्यप्रेणता आचार्य भिक्षु का वीतराग के प्रति समर्पण बेजोड़ था। उनका मात्र नाम स्मरण अनेक समस्याओं का समाधायक है। हर भक्त हृदय में वे आराध्य के रूप में प्रतिष्ठित हैं। इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ पर आचार्य परंपरा द्वारा प्रदत्त अनेक प्रदायक मंत्र हैं। इस सच्चाई को समझें, मात्र विघ्न निवारण के लिए नहीं, अपनी आत्मशक्ति की वर्धमानता के लिए मंत्र साधना की जाती है। जयाचार्य द्वारा रचित ‘मुणिन्द मोरा’ ढाल शक्ति प्रेषण करने वाली मंत्रात्मक विरासत है।
साध्वीश्री ने राजस्थान के कस्बे बीदासर में घटित घटना को विस्तार से व्याख्यायित करते हुए कहा- श्रीमद्जयाचार्य द्वारा रचित यह विशिष्ट स्तवन हर भक्त के रोम-रोम में शक्ति का संचार करने वाला है। संकटों को विमोचन करने वाला है। उनके द्वारा प्रदत्त सिद्धमंत्रों ने समय-समय पर सुरक्षा कवच का काम किया है। इसमें जयाचार्य ने अपने संघ के आचार्यों एवं तपस्वी साधु-साध्वियों का स्मरण किया है। शासन प्रभावक देवी-देवियों का स्मरण भी है, जो विशेष सुरक्षा कवच का निर्माण करता है। जप, साधना शांति का शिखर प्रदान करती है।
प्रवचन से पूर्व साध्वी डॉ0 राजुलप्रभा ने ध्यान का विशेष प्रयोग करवाया कार्यक्रम में तेरापंथी सभा अध्यक्ष उगमराज सांड, पूर्वाध्यक्ष प्यारेलाल पितलिया, सहमंत्री देवी लाल हिरण के साथ कार्यकारणी सदस्यगण, महिला मंडल की टीम और समाज के कई गणमान्य व्यक्तियों की गरिमामय उपस्थिति रही।