विकास महोत्सव के विविध आयोजन विकास के श्लाका पुरुष थे आचार्यश्री तुलसी
रोहिणी, दिल्ली
साध्वी डॉ0 कुंदनरेखा जी के सान्निध्य में विकास महोत्सव के कार्यक्रम रखा गया। इस अवसर पर साध्वी कुंदनरेखा जी ने कहा कि विकास हर जीवन का लक्ष्य होता है। आवश्यक है वह विकास अध्यात्म की गहराई का स्पर्श करे। ज्ञान, दर्शन और चारित्र की महान दिशा में प्रस्थान हो। इसके साथ-साथ जन-जन की चेतना भी सत्य का स्पर्श कर आत्मोत्थान करे। तेरापंथ धर्मसंघ की विकास यात्रा अध्यात्म की यात्रा है, अंतर्शोधन करें। अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान एवं जीवन-विज्ञान जैसे अवदानों को संपूर्ण मानव जाति के उत्थान हेतु जहाँ प्रारंभ किया गया, वहीं आगम संपादन जैन विश्व भारती यूनिवर्सिटी एवं तत्त्वज्ञान जैसे आध्यात्मिक गतिविधियों का सूत्रपात हुआ। वर्तमान में जैन धर्म का पर्याय बन चुका है तेरापंथ धर्मसंघ।
साध्वी सौभाग्ययशा जी ने कहा कि गुरुदेव तुलसी ने नए-नए सूर्य उगाए, जिससे तेरापंथ धर्मसंघ आलोक से आलोकित हो रहा है। दसवें अधिशास्ता ने हमें विकास महोत्सव देकर संघ को उपकृत किया। विकास का प्रारंभ आचार्य भिक्षु आदि आचार्यों से हुआ। साध्वी कल्याणयशा जी ने कहा कि गुरुदेव तुलसी दिवास्वप्न देखते थे और अपने श्रम से उसे पूरा कर दुनिया को राह दिखाते थे। उन्होंने दुनिया में परिमार्जन के लिए अणुव्रत का सिंहनाद किया। साध्वी सौभाग्ययशा जी ने गीत प्रस्तुत किया।
रोहिणी सभा के अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि विकास महोत्सव तेरापंथ धर्मसंघ के विकास की समीक्षा करें तथा उत्तरोत्तर विकास करते रहें। आचार्य तुलसी विकास के पर्याय हैं, जिन्होंने अपने अथक श्रम से शासन में अनेक अवदान देकर उपकृत किया है। सुशीला पुगलिया ने कहा कि आचार्य तुलसी के आचार्य पद का विसर्जन और युवाचार्य महाप्रज्ञ को आचार्य पद पर प्रतिष्ठित होना ही विकास महोत्सव की उत्पत्ति है। प्रवीण सिंघी ने कहा कि आचार्य तुलसी को नमन करती हूँ, कविता की प्रस्तुति दी।
साध्वी कर्तव्ययशा जी ने तुलसी अष्टकम् के संगान से मंगलाचरण कर कार्यक्रम को प्रारंभ किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी कल्याणयशा जी ने किया। इस अवसर पर तेरांपथ सभा अध्यक्ष विजय जैन, महामंत्री राजेंद्र सिंघी, मंत्री सुशील जैन, परामर्शक संजय जैन, कैलाश जैन, कार्यकारिणी सदस्य बसेसर जैन आदि एवं महिला मंडल दिल्ली से प्रवीण सिंघी, ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका सुशीला पुगलिया उपस्थित थे।