त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन

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त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन

अमराईवाड़ी-ओढ़व।
शासनश्री साध्वी सरस्वती जी के सान्निध्य में त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन सिंघवी भवन में किया गया। साध्वीश्री जी ने कहा कि संसार में अनेक साधना पद्धतियाँ प्रचलित हैं, उनमें एक है-प्रेक्षाध्यान। प्रेक्षा का अर्थ है देखना, जानना चेतना का लक्षण है। आवृत्त चेतना में जानने और देखने की क्षमता क्षीण हो जाती है। उस क्षमता को विकसित करने का सूत्र है-जानो-देखो। शरीर में तीन प्रकार की वेदना होती है-आधि, व्याधि और उपाधि। इन तीनों को मिटाने का उपाय है-प्रेक्षाध्यान।
प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षक लाजपतराय जैन ने कहा कि आत्मा की गहराई में उतरने का नाम है-प्रेक्षाध्यान। प्रेक्षाध्यान में प्रयोग आने वाली विभिन्न मुद्राओं के लाभ और प्रयोग के बारे में जानकारी दी। श्वास सम्यक् कैसे हो? श्वास कैसे ली जाती है? आदि विषयों पर प्रकाश डालते हुए प्रेक्षाध्यान के कुछ प्रयोग करवाए। हमें भोजन कैसे लेना चाहिए, कौन-सा भोजन लेना चाहिए, कब, कितना, किस तरह भोजन लेना चाहिए इस पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। बहुत-सी यौगिक क्रियाएँ भी करवाई। कार्यक्रम को सफल बनाने में दिनेश चंडालिया का विशेष श्रम रहा। तेयुप, तेममं की उपस्थिति सराहनीय रही।