भगवान महावीर के जीवन प्रसंग से जुड़ने से अमावस्या की रात्रि हुई धन्य: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

भगवान महावीर के जीवन प्रसंग से जुड़ने से अमावस्या की रात्रि हुई धन्य: आचार्यश्री महाश्रमण

ताल छापर, 25 अक्टूबर, 2022
कार्तिक कृष्णा अमावस्या-वर्तमान अवसर्पिणी काल के चरम तीर्थंकर श्रमण भगवान महावीर का परिनिर्वाण दिवस। आज की अमावस्या की अर्धरात्रि में परम प्रभु परम पद को प्राप्त हो गए थे। आज की ही रात्रि में प्रभु के प्रथम गणधर गौतम स्वामी को भी कैवल्य की प्राप्ति हुई थी। दो-दो महान विभूतियों के जीवन प्रसंग से जुड़ने के कारण अमावस्या भी धन्य हो गई थी।
तीर्थंकर के प्रतिनिधि वर्तमान के वर्धमान आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल पावन आगम वाणी का रसास्वाद करवाते हुए फरमाया कि भगवती सूत्र में प्रश्न गिया गया-भंते! अकर्य की गति होती है क्या? हाँ होती है। एक आत्मा जो कर्म युक्त है, संसारी अवस्था में है तो उसका तो अपने ढंग से पुनर्जन्म हो जाता है। परंतु जिस साधु को केवलज्ञान हो गया है। तेरहवें गुणस्थान में थोड़ा सा समय बचा और वह चौदहवें गुणस्थान में चला गया जिसका काल मान पाँच हंस्वा अक्षर जितना है। शेष चार कर्म नष्ट होकर आत्मा अकर्म बनती है।
आत्मा अकर्म है, फिर गति किस आधार पर करती है। उत्तर दिया गया-निसंगता निरंजनता, गति-परिणाम, बंधन-छेदन और पूर्व प्रयोग इन कारणों से अकर्म में गति होती है। पुद्गल का स्वभाव है, नीचे जाना और आत्मा का स्वभाव है ऊपर आना। ये कारण बताए गए हैं। आज कार्तिक कृष्णा अमावस्या है। आज अकर्म गति हुई थी। परम प्रभु भगवान महावीर आज की रात में अशरीर हो गए थे। आत्मा सिद्ध मुक्त हो गई थी। गौतम स्वामी प्रभु के प्रमुख शिष्य थे। पर भगवान की विद्यमानता में उन्हें केवलज्ञान प्राप्त नहीं हुआ था। भगवान की पच्चीसवीं निर्वाण शताब्दी पर जैन ध्वज, जैन प्रतीक और जैन ग्रंथ सामने आए। ये जैन एकता से संबंधित है। संवत्सरी एकता का प्रश्न भी आया था, पर वह तो नहीं हो सका।
आज के दिन कितने करने वाले तेले की तपस्या भी करते हैं। कार्तिक की अमावस्या भी एक पर्व बन गया। हम भगवान महावीर की शासना में आध्यात्मिक साधना करते रहें, यह काम्य है। पूज्यप्रवर ने जप-‘लोगुत्तमे समणे णाय पुत्ते’ आज के दिन करने की प्रेरणा प्रदान करवाई। विकल्प यह भी है-‘महावीर स्वामी केवलज्ञानी, गौतम स्वामी चऊनाणी।’ रात्रि 12 बजे बाद महावीर पहुँचे निर्वाण, गौतम पाये कैवल ज्ञान। हम वीतराग प्रभु का जप करें। कई गीत हैं, वे भी गा सकते हैं। ‘जय महावीर भगवान’ गीत का सुमधुर संगान पूज्यप्रवर ने करवाया। हम प्रभु महावीर के जीवन से प्रेरणा लें, हमारी भी अकर्म वाली गति हो। हम सिद्ध गति को प्राप्त करें, यह हमारी कामना हो। पूज्यप्रवर ने तेले व अन्य तपस्या के प्रत्याख्यान करवाए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।