पर्युषण महापर्व का आयोजन
राजाराजेश्वरी नगर।
शासनश्री साध्वी शिवमाला जी के सान्निध्य में पर्युषण महापर्व का प्रथम दिवस खाद्य संयम दिवस के रूप में मनाया गया। इस विशिष्ट नवाह्निक पर्वाराधना का आगाज अष्टदिवसीय अखंड जपानुष्ठान से हुआ। महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। सभाध्यक्ष छतर सेठिया, तेयुप अध्यक्ष कौशल लोढ़ा, तेममं मंत्री सीमा छाजेड़ ने सभी का स्वागत किया। साध्वी अर्हमप्रभा जी ने पर्युषण का महत्त्व बताया। शासनश्री साध्वी शिवमाला जी ने कहा कि यह पर्व आत्मोत्थान एवं चित्त शुद्धि का पर्व है। खान-पान के संयम द्वारा हम अपने आरोग्य का संवर्धन कर सकते हैं। साध्वी अमितरेखा जी ने कालचक्र को विस्तार से बताते हुए भगवान ऋषभ के पूर्वजन्म की चर्चा की। संचालन सभा के मंत्री हेमराज सेठिया ने किया। स्वाध्याय दिवस का शुभारंभ साध्वीश्री जी ने नमस्कार महामंत्र के स्मरण से किया।
सुमधुर गायक मनीष पगारिया द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। साध्वी अर्हमप्रभा जी ने स्वाध्याय का महत्त्व बताया। स्वाध्याय निर्जरा का एक आंतरिक भेद है। शासनश्री शिवमाला जी ने कहा कि स्वाध्याय के लिए मन की एकाग्रता जरूरी है, जो नित्य स्वाध्यायशील होते हैं, दुखों को दूर करने वाले होते हैं। स्वाध्याय के द्वारा बड़ी से बड़ी समस्या से पार पाया जा सकता है। साध्वी अमितरेखा जी ने कहा कि जिसमें अपने हित की जानकारी मिले, प्रेरणा मिले उस पठन-पाठन को स्वाध्याय कहते हैं। भाई-बहनों की अच्छी संख्या में उपस्थिति रही।
शासनश्री साध्वी शिवमाला जी के सान्निध्य में आयोजित अभिनव सामायिक कार्यक्रम में कुल 300 सामायिक हुई। कार्यक्रम की शुरुआत तुलसी संगीत सुधा के सदस्यों द्वारा गीतिका के संगान से हुई। तेयुप अध्यक्ष कौशल लोढ़ा ने श्रावक समाज का स्वागत किया। साध्वी शिवमाला जी ने कहा कि भारत की अध्यातम प्रधान परंपरा में सभी धर्मों का सार है संतुलित जीवनशैली। वह समता से प्राप्त होती है। उसका प्रायोगात्मक अनुष्ठान हैµसामायिक। परिषद मंत्री विपुल पितलिया ने विचार रखे। अभातेयुप राष्ट्रीय सामायिक सहप्रभारी राकेश दक, तेरापंथ टाइम्स के कार्यकारी संपादक दिनेश मरोठी ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर तेरापंथ सभा अध्यक्ष छतर सिंह सेठिया, ट्रस्ट अध्यक्ष मनोज डागा, पदाधिकारीगण एवं श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति रही। कार्यक्रम के प्रायोजक गणेशमल कंचन देवी नाहर परिवार थे। कार्यक्रम का संचालन सामायिक प्रभारी सौरभ चौरड़िया ने किया।
वाणी संयम दिवस का शुभारंभ साध्वीश्री ने नमस्कार महामंत्र के स्मरण के साथ किया। प्रेक्षा संगीत सुधा ने गुरुदेव तुलसी द्वारा रचित गीत द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया। साध्वी अर्हमप्रभा जी ने वाणी संयम का महत्त्व बताया। शासनश्री साध्वी शिवमाला जी ने कहा कि वाणी में बहुत शक्ति होती है, उसका सदुपयोग आवश्यक है, जो सोच-समझ करके बोलता है उसे कभी आगे सोचना नहीं पड़ता है। वाणी चुंबक के समान है एक-दूसरे को खिंचती है, यह एक बहुत बड़ा रसायन है जो एक-दूसरे को जोड़ता है। साध्वी अमितरेखा जी ने कहा कि दस आश्चर्य में एक आश्चर्य है भगवान मल्लिनाथ का स्त्री तीर्थंकर होना, पूर्वजन्म का विवेचन करते हुए भगवान मल्लिनाथ के जीवन पर प्रकाश डाला। संचालन सभा के सहमंत्री गुलाब बांठिया ने किया।
साध्वी शिवमाला जी के सान्निध्य में जप दिवस का कार्यक्रम साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र से प्रारंभ हुआ। साध्वी अर्हमप्रभा जी ने विचार व्यक्त किए। साध्वी शिवमाला जी ने कहा कि जप एक बहुत औषधि है, जो अंदर के रसायन को बदलती है। जप आध्यात्मिक स्नान है, जो स्फूर्ति और ताजगी देता है। साध्वी अमितरेखा जी ने कहा कि जप करते समय धरती पर बिना आसन नहीं बैठना चाहिए। उत्तम आसन ऊन का होता है। संचालन सभा के सदस्य नरेश बांठिया ने किया।
साध्वीश्री जी के सान्निध्य में ध्यान दिवस का शुभारंभ साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र से हुआ। तेयुप विजयनगर एवं हनुमंतनगर के युवकों ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। साध्वी अर्हम् प्रभा जी ने ध्यान पर विचार व्यक्त किए। साध्वी रत्नप्रभा जी ने ध्यान के प्रयोग करवाए। शासनश्री साध्वी शिवमाला जी ने कहा कि योग का निरोध करना ध्यान है। आचार्यश्री तुलसी के शब्दों में मन की रिक्तता ही ध्यान है। ध्यान वो धन है जिसे अपनाकर व्यक्ति तृप्ति का अनुभव करता है। साध्वी अमितरेखा जी ने विचार व्यक्त किए। अध्यक्ष छतरसिंह सेठिया ने क्षेत्र में चल रहे जपानुष्ठान की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन सभा के सहमंत्री गुलाब बांठिया ने किया।
शासनश्री साध्वी शिवमाला जी के सान्निध्य में मैत्री पर्व का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र के स्मरण के साथ किया। साध्वीश्री ने कहा कि संवत्सरी पर्व जैन धर्म का एक महापर्व है, इस पर्व पर सभी जैन चौविहार उपवास करते हैं। साध्वीश्री जी ने भगवान महावीर के पूर्व भव का वाचन किया। साध्वी अमितरेखा जी ने भगवान महावीर एवं तेरापंथ के सभी 11 आचार्य के जीवन का वाचन किया। 180 भाई-बहनों ने पौषध का प्रत्याख्यान किया। सभाध्यक्ष छतरसिंह सेठिया ने उपस्थित श्रावक समाज का स्वागत करते हुए खमतखामणा की। तेयुप अध्यक्ष कौशल लोढ़ा, तेममं मंत्री सीमा छाजेड़, ट्रस्ट अध्यक्ष मनोज डागा ने साध्वी शिवमाला जी एवं संपूर्ण श्रावक समाज से क्षमायाचना की। संपूर्ण श्रावक समाज ने परमपूज्य गुरुदेव को वंदन करते हुए क्षमायाचना की। तत्पश्चात चारों साध्वीवृंद से क्षमायाचना की। दिनेश मरोठी ने सामूहिक खमतखामणा करवाया। साध्वीवृंद ने संपूर्ण श्रावक समाज से खमतखामणा किया। कार्यक्रम का संचालन सभा के उपाध्यक्ष विक्रम मेहर ने किया।