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मासखमण तप अभिनंदन
गांधीनगर
सभा भवन में मुनि अर्हत कुमार जी ने कहा कि भगवान महावीर ने मुक्ति के चार सोपान बताए, उसमें चौथा सोपान हैµतप। तप वह प्रकाश पुंज है, जिसके आलोक से आत्मा आलोकित होकर नई रश्मियों को प्राप्त करती है। तप वह मंगल कलश है, जिसे पीने वाला अपने जीवन को मंगलमय बना लेता है। तप के दुरुह राह पर वही बढ़ सकता है, जिसका मनोबल हिमालय की तरह अडिग और अप्रकंप हो। बहन नीलम चिंडालिया ने तप का नीलम पहनकर स्वयं को भावित किया है, अपनी अटल संकल्प शक्ति का परिचय दिया है। अब इसी तरह तप में आगे बढ़ते हुए निरंतर आत्मोन्नति करते रहें।
मुनि भरत कुमार जी ने उद्गार व्यक्त किए। बाल संत जयदीप कुमार जी ने गीत का संगान किया। तपस्विनी बहन नीलम चिंडालिया ने मासखमण का प्रत्याख्यान किया। सभा द्वारा अभिनंदन पत्र भेंट किया गया। संगठन मंत्री धर्मेश कोठारी ने बताया कि इस चातुर्मास में अभी तक शर्मिला देवी भंसाली, सुमित्रा गादिया, मंजु भंडारी, रानी धोका, गुलाबबाई सुखानी, रेखा खांटेड ने मासखमण का तथा प्रकाश बाई गोलेच्छा, महावीर मूथा, नीतू भंसाली ने आयंबिल मासखमण किया है। सभा अध्यक्ष कमल दुगड़ ने अपने विचार व्यक्त किए। परिवार की ओर से गीत की प्रस्तुति हुई। विमल शामसुखा, सुनीता, गरिमा ने तप की अनुमोदना की। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी के संदेश का वाचन मुनि भरत कुमार जी ने किया।