नैतिक क्रांति के सूत्रधार थे आचार्यश्री तुलसी
आचार्यश्री तुलसी के 109वें जन्मोत्सव के आयोजन
घाटकोपर
साध्वी संयमलता जी के सान्निध्य में आचार्यश्री तुलसी का 109वाँ जन्म दिवस मनाया गया। बाल कलाकार भव्य कावड़िया ने सुमधुर स्वरों से मंगलाचरण किया। मुख्य वक्ता दिलीप सरावगी ने बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी आचार्यश्री तुलसी को ग्लोबल मेन बताते हुए पाँच सूत्रों की विस्तृत चर्चा की। आचार्य तुलसी करुणा हैं, अजस्र स्त्रोत थे। प्रत्येक मानव के उद्धार हेतु अणुव्रत का प्रवर्तन किया। अणुव्रत समिति, मुंबई की अध्यक्षा कंचन सोनी ने परिषद से आह्वान किया कि आचार्य महाश्रमण जी के चातुर्मास आगमन पर प्रत्येक व्यक्ति नशामुक्त बने। मुंबई सभा के कार्याध्यक्ष नवरतनमल गन्ना ने आचार्य तुलसी के अवदानों की चर्चा की। साध्वी संयमलता जी ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी के व्यक्तित्व, कर्तृत्व व नेतृत्व को किसी फ्रेम में नहीं मढ़ा जा सकता है। आचार्यश्री सृजनशील व रचनात्मक चेतना के धनी थे। सबसे बड़ा रचनात्मक कार्य कियाµमानव का निर्माण। अणुव्रत के छोटे-छोटे नियमों द्वारा आचार्य तुलसी ने मानव जाति का सही पथ-दर्शन किया।
ज्ञानशाला के बच्चों ने ‘न्याय के कटघरे में नैतिकता का पहरा हो’ संवाद की रोचक प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष मदनचंद तातेड़, सिरियारी संस्थान के पूर्व अध्यक्ष ख्यालीलाल तातेड़, अणुव्रत समिति महाराष्ट्र के प्रभारी रमेश धोखा, अंजू कोठारी, जैन विद्या के प्रभारी प्रेमलता सिसोदिया, श्राविका गौरव प्रकाश देवी तातेड़ एवं अच्छी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन करते हुए साध्वी मार्दवश्री जी ने कहा कि अणुव्रत आचार्य तुलसी की सृजन चेतना का अमृत òोत है। अणुव्रत ने सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक व आध्यात्मिक सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है। इस आंदोलन से उत्प्रेरित हो लाखों लोगों ने अपनी जीवन दिशा व दशा बदली है। आभार ज्ञापन तेरापंथ सभा, घाटकोपर के अध्यक्ष शांतिलाल बाफना ने किया।