जैन वाङ्मय कार्यशाला शंृखला का आयोजन एवं समापन समारोह
अहमदाबाद।
तेममं के तत्त्वावधान में विभिन्न जैन वाङ्मय कार्यशाला शंृखलाओं का आयोजन मुनि कुलदीप कुमारजी के सान्निध्य में व मुनि मुकुल कुमारजी के निर्देशन में तेरापंथ भवन, शाहीबाग आयोजित की गई। जिसमें निम्नलिखित जैन वाङ्मय कार्यशालाओं का विविध विषयों पर आयोजन किया गया।
(1) जैन वाङ्मय मंत्र दर्शन कार्यशाला विषय-‘नमस्कार महामंत्र - एक दिव्यौषधी - एक रहस्य’, (2) जैन वाङ्मय रंग चिकित्सा कार्यशाला विषय - रोगों की रामबाण दवा, (3) जैन वाङ्मय स्वर प्रेक्षा कार्यशाला विषय- ‘अध्यात्म का उत्तुंग शिखर - स्वर विज्ञान’, (4) जैन वाङ्मय वास्तु परिमल कार्यशाला विषय-‘जैन आगमों में वास्तु का स्वरूप’, (5) जैन वाङ्मय अध्यात्म नवनीत कार्यशाला विषय-‘जैन आगमों में छिपी मंत्रों की रहस्यमयी शक्ति’, (6) जैन वाङ्मय बोधिदा कार्यशाला विषय-‘आठ कर्म और नवग्रह- एक विलक्षण विवेचन’, (7) जैन वाङ्मय अप्पदीभव कार्यशाला विषय-‘जैन ज्योतिष और वास्तु के रहस्यमयी सूत्र’, (8) जैन वाङ्मय पंचतत्व कार्यशाला विषय-‘यंत्र रहस्य और रंग चिकित्सा’ (9) जैन वाङ्मय आत्मप्रबोधक आभामंडल कार्यशाला विषय-‘ज्योतिष विद्या एक अलौकिक यात्रा’, (10) जैन वाङमय ज्योतिर्मय कार्यशाला विषय-‘जीवन के रहस्यमय सूत्र’ पर आयोजित की गई।
मुनि मुकुल कुमारजी ने वास्तु शास्त्र की चार प्रमुख दिशाएँ, आठ सहयोगी दिशाएँ ओर सोलह गुप्त दिशाओं के बारे में विलक्षण जानकारी दी। जैन आगमों में वास्तु का क्या स्वरूप है, दिशाएँ क्या है ओर उसका स्वरूप क्या है, वास्तु हमें कैसे प्रभावित करता है, जैनदर्शन, वैदिकदर्शन और बौद्धदर्शन में वास्तु का तुलनात्मक विवेचन किया।
तेरापंथी सभा, तेयुप, तेममं, टीपीएफ, अणुवत समिति आदि संस्थाओं के पदाधिकारियों के साथ अहमदाबाद के विभिन्न क्षेत्रों से अनेक श्रावकों, गणमान्यजनों एवं जैनेत्तर लोगों की भी उपस्थिति दर्ज रही। कार्यशाला के समापन कार्यक्रम तेममं की बहिनों द्वारा मंगलाचरण किया गया। तेममं अध्यक्षा चांददेवी छाजेड़ ने स्वागत वक्तव्य दिया। तेममं मंत्री अनिता कोठारी ने संचालन के साथ मुनिश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया।