ज्ञानशाला वार्षिकोत्सव का आयोजन
अमराईवाड़ी।
तेरापंथ सभा के निर्देशन में ज्ञानशाला का वार्षिकोत्सव शासनश्री साध्वी सरस्वती जी के सान्निध्य में सिंघवी भवन में रखा गया। कार्यक्रम में उपासक श्रेणी के राष्ट्रीय प्रधानाध्यापक डालमचंद नौलखा एवं अतिथि के रूप में क्षेत्रीय संयोजिका लीला सुराणा एवं सह-संयोजिका आशा खाब्या उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीश्री जी के द्वारा नमस्कार महामंत्र से हुई। साध्वीश्री जी ने कहा कि यह नन्हे-मुन्ने बच्चे आज इस मंच पर अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं, हो सकता है आगे जाकर इसी मंच से बहुत बड़े मंच तक पहुँचें। सभी बच्चों के प्रति मंगलकामना की। साध्वी संवेगप्रभा जी ने कहा कि छोटे बच्चे तो वह कोरा कागज है, जिस पर हम कुछ भी अंकित कर सकते हैं और यही बचपन के संस्कार जीवन भर बच्चों में अमिट रहते हैं। साध्वी तरुणाप्रभा जी ने कहानी के माध्यम से बच्चों को संस्कारी होने की बात कही।
सभा अध्यक्ष रमेश पगारिया ने स्वागत वक्तव्य दिया। डालमचंद नौलखा ने कहा कि इन बच्चों की प्रस्तुतियों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए, ज्ञानशाला बच्चों में जैन धर्म के संस्कारों को पुष्ट करने का सशक्त माध्यम है। सभा मंत्री गणपत हिरण ने कहा कि ज्ञानशाला से बच्चों के धार्मिक विकास की शुरुआत होती है। लीला सुराणा ने अधिक से अधिक बच्चों को प्रतिक्रमण सीखने की प्रेरणा दी। पूर्णिया श्रावक, लव-कुश, हनुमान, रावण-सीता, भीकणजी, भारमलजी, तुलसीजी, बाहुबली, दम्यंती, चंदनबाला-महावीर स्वामी आदि के छोटे-छोटे प्रेरक प्रसंगों के साथ बच्चों ने रोचक एवं मनमोहक प्रस्तुतियाँ दी। बच्चों द्वारा ग्रुप डांस, एक्ट एवं संवाद भी प्रस्तुत किए गए। श्रेष्ठ ज्ञानार्थी वेदिका रांका और श्रेष्ठ प्रशिक्षिका के रूप में कोमल हिरण का चयन किया गया। सभी बच्चों और प्रशिक्षिकाओं को भी सम्मानित किया गया। संचालन संगीता सिंघवी एवं सेजल मांडोत ने किया। आभार ज्ञापन कोमल हिरण ने किया।