जीवन में ईमानदारी को दें प्राथमिकता: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

जीवन में ईमानदारी को दें प्राथमिकता: आचार्यश्री महाश्रमण

छोटी खाटू, 17 नवंबर, 2022
तेरापंथ के एकादशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी आज बांठड़ी गाँव से 15 किलोमीटर विहार कर श्रद्धा के क्षेत्र छोटी खाटू पधारे। धर्मोपदेशक ने मंगल प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे जीवन में ईमानदारी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। आदमी व्यवहार व लेन-देन करता है। गृहस्थ के सारे उपक्रम में ईमानदारी घनीभूत रहती है, तो वह सारा उपक्रम, व्यवहार दृढ़तया एक अपेक्षा से नैतिकतामय हो जाता है। गुरुदेव तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन शुरू कर अनेक प्रलंब यात्राएँ की थीं। अणुव्रत का महत्त्वपूर्ण आयाम है-नैतिकता। ईमानदारी के दो पहलू हैं-चोरी नहीं करना व झूठ नहीं बोलना। यह हमारे जीवन में रहे तो ज्यादा कल्याण करने वाली हो सकती है।
ईमानदारी-सच्चाई परेशान तो हो सकती है, पर परास्त नहीं हो सकती। झूठ के साथ मानो तनाव भी हो सकता है। बच्चों में भी ये संस्कार दिए जाते रहें। पर-धन धूलि समान। आदमी से नफरत न करें, झूठ और चोरी से नफरत करें। पाप के प्रति घृणा रहे। पापभीरूता रहे। अणुव्रत के छोटे-छोटे नियम गृहस्थों के जीवन में रहते हैं, तो जीवन अच्छा रह सकता है। छापर चातुर्मास संपन्न कर यहाँ आए हैं। जयाचार्य डालगणी, कालूगणी, आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ जी भी यहाँ पधारे हुए हैं। यहाँ से चारित्रात्माएँ भी हैं। अच्छा क्षेत्र है। यहाँ के श्रावकों में धर्मसंघ और अध्यात्म के संस्कार बने रहें। ज्ञानशाला में भी बच्चे आते रहें। अणुव्रत, जीवन-विज्ञान का भी कार्य होता रहे।
यहाँ चारित्रात्माओं का भी लंबा प्रवास हुआ है। मैं भी मुनि अवस्था में आया था, तब दोनों गुरुओं ने मुझे आशीर्वाद दिया था। यहाँ धर्मोद्योत बना रहे। यहाँ की जनता में भी धार्मिक भावना पुष्ट रहे। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में ऋषि-महर्षियों का विशेष योगदान रहा है। भारतीय संस्कृति में गुरु का महत्त्व है। गुरु से विद्या प्राप्त करने के लिए गुरु के प्रति सर्वात्मना समर्पित होना चाहिए, इससे आत्म-साक्षात्कार हो सकता है। गुरु का विनय करने वाला अध्यात्म का मार्ग प्रशस्त कर लेता है। पूज्यप्रवर के स्वागत में महासभा के अध्यक्ष मनसुख सेठिया, महिला मंडल ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। पूज्यप्रवर ने संकल्प स्वीकार करवाए। संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।