जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण

जैन संस्कार विधि के बढ़ते चरण

दक्षिणांचल स्तरीय जैन संस्कार विधि संस्कारक प्रशिक्षण एवं निर्माण कार्यशाला व सम्मेलन

विजयनगर।
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्त्वावधान में दक्षिणांचल स्तरीय जैन संस्कार विधि संस्कारक प्रशिक्षण एवं निर्माण कार्यशाला व सम्मेलन का द्विदिवसीय आयोजन तेयुप, विजयनगर द्वारा किया गया। कार्यशाला व सम्मेलन के लिए 57 सदस्यों ने रजिस्टर करवाया। 52 सदस्यों ने कार्यशाला में सहभागिता दर्ज कराई। जिसमें दक्षिण के सुदूर क्षेत्रों से 20 पुराने संस्कारक व 32 संभागी संस्कारक बनने हेतु उपस्थित हुए।
कार्यशाला के प्रथम सत्र का शुभारंभ मुनि रश्मि कुमार जी के सान्निध्य में नवकार महामंत्र जप से हुआ। तेयुप, विजयनगर की ‘विजय स्वर संगम’ द्वारा विजय गीत का संगान किया गया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन तेयुप पूर्व अध्यक्ष संपत चावत ने उपस्थित जनों को करवाया। तेयुप, विजयनगर के अध्यक्ष श्रेयांस गोलछा ने स्वागत वक्तव्य दिया। तत्पश्चात मुनिश्री ने अपने मंगल उद्बोधन में जैन संस्कार विधि के बारे में विस्तार से बताया। प्रथम एवं द्वितीय सत्र में मुख्य प्रशिक्षक डालिमचंद नवलखा ने जैन दर्शन, जैन सिद्धांत, जैन संस्कृति, जैन जीवनशैली एवं जैन संस्कार विधि से कार्यक्रम संपादित करने के बारे में बताया।
तृतीय व चतुर्थ सत्र में जैन संस्कार विधि राष्ट्रीय प्रभारी राकेश जैन ने जैन संस्कार विधि में करणीय व अकरणीय कार्य के बारे में बताते हुए मंगलभावना पत्रक के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला में उपस्थित संभागी बड़ी तन्मयता से विषय को सुनते, अंत में अपनी-अपनी जिज्ञासा रखते जिसका मुख्य प्रशिक्षक सटीक समाधान बताते।
कार्यशाला में उपस्थित सभी महानुभावों ने गुरु इंगित 7 से 8 के बीच शनिवारीय सामायिक की। प्रथम दिन के रात्रिकालीन अंतिम सत्र में ग्रुप में उच्चारण शुद्धि का क्रम चला। जिसमें राष्ट्रीय सह-प्रभारी संजय भंडारी, संस्कारक राकेश दुधोड़िया, दिनेश मरोठी एवं विकास बांठिया ने 4 ग्रुप के माध्यम से संभागियों की उच्चारण शुद्धि करवाई।
कार्यशाला के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में मंचीय कार्यक्रम में अध्यक्षता कर रहे अभातेयुप उपाध्यक्ष जयेश मेहता ने कार्यक्रम के शुरुआत की विधिवत घोषणा की, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में अभातेयुप अभूतपूर्व अध्यक्ष विमल कटारिया पधारे। गरिमामय उपस्थिति अभातेयुप महामंत्री पवन मांडोत एवं प्रबुद्ध विचारक दिनेश पोखरना की रही। विशेष उपस्थिति के रूप में विजयनगर सभा अध्यक्ष प्रकाश गांधी, जैन संस्कार विधि राष्ट्रीय प्रभारी राकेश जैन, राष्ट्रीय सह-प्रभारी संजय भंडारी एवं परिषद प्रभारी सोनू डागा उपस्थित रहे। सभी ने अपने वक्तव्य में विचार व्यक्त करते हुए शुभकामनाएँ संप्रेषित की। राष्ट्रीय सह-प्रभारी संजय भंडारी ने मंचीय कार्यक्रम का संचालन किया। आभार ज्ञापन सोनू डागा ने किया। द्वितीय सत्र में जैन संस्कार विधि से विवाह संस्कार कैसे होता है, उसका डेमो मुख्य प्रशिक्षक डालिमचंद नवलखा ने दिखाया व विधि से संबंधित भ्राँतियों का समाधान भी किया गया।

दीक्षांत समारोह
दीक्षांत समारेह का आयोजन हुआ। कार्यक्रम सामूहिक नवकार महामंत्र के मंत्रोच्चार के साथ श्ुारू किया गया। दीक्षांत समारोह में राष्ट्रीय प्रभारी राकेश जैन ने सभी को नई नियमावली की विस्तृत जानकारी दी। अभातेयुप महामंत्री पवन मांडोत, संस्कारक राकेश दुधोड़िया ने अपने भाव रखे। मुख्य प्रशिक्षक डालिमचंद नवलखा ने ली गई परीक्षा के अनुसार 17 नए संस्कारकों को ‘धी’ श्रेणी संस्कारक की उपाधि की अर्हता प्रदान की। कार्यशाला की सारी व्यवस्था-संभागियों से बात करना, कन्फर्मेशन लेना, समय-समय पर रिमाइंडर करना, यातायात व आवास व्यवस्था आदि सारा कार्य तेयुप, विजयनगर की टीम द्वारा किया गया। कार्यशाला संयोजक व कर्नाटक राज्य सहयोगी विकास बांठिया, स्थानीय संयोजक धीरज भादानी व बसंत डागा ने कार्यशाला को सफल बनाने में अपना पूर्ण योगदान दिया। साथ ही तमिलनाडु के राज्य सहयोगी चेतन बरड़िया का अतुलनीय सहयोग मिला। इस कार्यशाला के पश्चात देश भर में अभातेयुप मान्यता प्राप्त जैन संस्कारकों की संख्या 502 हो गई है।