जीवन निर्माण में उपयोगी-ज्ञानशाला
कोयंबटूर।
तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में ज्ञानशाला दिवस का आयोजन साध्वी उज्ज्वलप्रभा जी के सान्निध्य में मनाया गया। साध्वी उज्ज्वलप्रभा जी द्वारा मंगलपाठ से उद्घाटन सत्र प्रारंभ हुआ। ज्ञानशाला दिवस के प्रथम सत्र में साध्वी उज्ज्वलप्रभा जी ने स्मरण शक्ति का विकास कैसे हो इस पर ध्यान, जप, प्रयोग करवाए। यौगिक क्रियाएँ, कायोत्सर्ग आदि का प्रयोग प्रशिक्षिका रूप कला भंडारी द्वारा किया गया। मुख्य प्रशिक्षिका सविता भंडारी ने प्रेरणा से भरी कहानी सुनाई। प्रशिक्षिका कनकप्रभा बुच्चा ने ज्ञानार्थियों से मनोरंजक प्रश्न पूछे।
दूसरे सत्र में ज्ञानशाला के नन्हे-मुन्ने ज्ञानार्थियों ने ज्ञानशाला गीत से मंगलाचरण किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने प्रेरक लघु नाटिका की प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने भी अपनी प्रस्तुति दी। साध्वी उज्ज्वलप्रभा जी ने कहा कि ज्ञानशाला में जो सीखते हैं वह जीवन भर नहीं भूलते और प्रशिक्षिकाएँ भी ज्ञान देने में, दायित्व में जागरूकता बरतें। साध्वी अनुप्रेक्षाश्री जी ने कहा कि जहाँ उच्च संस्कारों की बात आती है वहाँ बदला नहीं बदलाव की बात आती है। ज्ञानशाला में क्षमा की बात सिखाई जाती है।
इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष उत्तमचंद पुगलिया ने अपने विचार व्यक्त किए। गत वर्ष का विवरण संयोजिका स्नेहलता नाहटा ने दिया। विभिन्न प्रतिभागियों, शिशु संस्कार बोध में प्रथम, द्वितीय स्थान प्राप्त ज्ञानार्थियों को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुरेखा सेमलानी ने किया। कार्यक्रम का संयोजन मुख्य प्रशिक्षिका सविता भंडारी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन दीपिका बोथरा ने किया।