जीवन-विज्ञान, अणुव्रत व प्रेक्षाध्यान
कलम्बेल्ला।
मुनि अर्हत कुमार जी ने कहा कि विद्यालय वह पावन मंदिर है जहाँ अनगढ़ पत्थर आते हैं जो टीचर की पैनी-छैनी के द्वारा एक मूर्ति के रूप में निर्मित होते हैं। विद्यालय जहाँ बच्चे शिक्षित होते हैं और इनकी शिक्षा को जीवन में अपनाने वाले विकसित होते हैं। विद्यालय एक पावन धाम है, जो बच्चों के जीवन को परिमार्जित कर उसे एक उसके जीवन को सुहावना, लुभावना, मनभावना बना देता है। मुनिश्री ने कहा कि बच्चों को अपने स्वर्णीम भविष्य के निर्माण के लिए जिंदगी में नशे से बचना चाहिए। रोज सुबह माता-पिता का आशीर्वाद लेना चाहिए। अपनी प्रतिभा का विकास कर अपने गुणों का ग्राफ बढ़ाना चाहिए। मुनिश्री ने सभी बच्चों को नशामुक्त जीवन जीने के संकल्प करवाए।
युवा संत मुनि भरत कुमार जी ने कहा कि जो करता है महाप्राणध्वनि का अभ्यास उसका होता है विकास, जो करता है जीवन विज्ञान वो बनता है महान। बाल संत जयदीप कुमार जी ने अपने विचार व्यक्त किए। मुनिश्री 17 किलोमीटर का विहार का कलम्बेला गवर्नमेंट हायर प्राइमरी स्कूल में पधारे। जहाँ अनिल कुमार ने मुनिश्री का स्वागत किया। मुनिश्री के सान्निध्य में ‘कैसे हो भारत का भविष्य का निर्माण’ कार्यक्रम आयोजित किया गया।
मुनि अर्हत कुमार जी ने बच्चों को अणुव्रत के नियम दिलवाए व मुनि भरत कुमार जी ने विद्यार्थियों को जीवन-विज्ञान व प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाए। हिंदी से कन्नड़ में अनुवाद रजत वैद ने किया। कार्यक्रम में 10 शिक्षकों व अच्छी संख्या में विद्यार्थियों ने भाग लिया। इस अवसर पर तेयुप, बैंगलुरु से रजत बैद, रमेश सालेचा, दीपक गादिया, कुलदीप सोलंकी, धीरज सेठिया व महिला मंडल की ओर से लता गादिया और विमला बाई भंसाली उपस्थित थे।