निश्च्छल भक्ति से हो सकती है अभय और शक्ति की जागरणा: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

निश्च्छल भक्ति से हो सकती है अभय और शक्ति की जागरणा: आचार्यश्री महाश्रमण

मेड़ता सिटी, 26 नवंबर, 2022
मीरां की नगरी मेड़ता सिटी। मीरांरूपी श्रावक समाज के घनश्याम आचार्यश्री महाश्रमण जी 9 किलोमीटर का विहार कर मेड़ता सिटी पधारे। परम पावन ने पावन प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे भीतर अनेक प्रकार की वृत्तियाँ होती हैं। गुस्से-आक्रोश की वृत्ति हो सकती है, तो क्षमा की वृत्ति भी हो सकती है। अहंकार या निरहंकारिता, छल-कपट या ऋजुता भी हो सकती है। लोभ की चेतना है, तो संतोष का साक्षात्कार भी किया जा सकता है। भय की मनोवृत्ति होती है, तो अभय का साम्राज्य भी देखने को मिल सकता है।
भय एक वृत्ति है, जो दुर्बलता से युक्त होती है। स्वयं डरने वाला दूसरों को डराने की चेष्टा भी कर सकता है। हमारे जीवन में अभय की चेतना का विकास हो। न डरें न दूसरों को डराएँ। सब जीवों को अभय दान दें। सर्वश्रेष्ठ अभयदान अहिंसा से होता है। अभय की अनुप्रेक्षा भी एक प्रयोग है। आदमी भक्ति के द्वारा भी संभवतः अभय को प्राप्त कर सकता है।
आज मेड़ता सिटी आए हैं, जो मीरांबाई और भक्ति से जुड़ा हुआ क्षेत्र है। भक्ति व्यक्तिपरक, सिद्धांतपरक और आदर्शपरक भी हो सकती है। किसी सद्गुण या त्याग-संयम के प्रति भक्ति हो सकती है। नमस्कार महामंत्र भक्ति का एक महामंत्र है। पाँच प्रकार की आत्माओं के प्रति इस मंत्र में प्रयोग किया गया है। भक्ति एक अहंकार के नाश का प्रयोग बन सकती है। आराध्य के प्रति भक्ति है, तो अहंकार कैसा। गुरु के प्रति भक्ति हो। भक्ति से अभय और शक्ति की जागरणा हो सकती है। भक्ति गहरी हो। जहाँ समर्पण है, वहाँ कोई शर्त नहीं। अपने सिद्धांतों और आदर्शों के प्रति भक्ति हो।
भक्तामर श्वेतांबर और दिगंबर दोनों परंपराओं में मान्य है। यह भी एक भक्ति स्त्रोत है और भी अनेक मंत्र-स्तोत्र भक्ति के हैं। लोगस्स, खमासमणो नमोत्थुणं जैसे अनेक स्तोत्र हैं। भक्ति के साथ आदमी के आचरण भी अच्छे होने चाहिए। भक्ति में तादात्म्य स्थापित हो जाए। यह एक प्रसंग से समझाया कि भक्ति में निःशर्तता और निश्च्छलता हो तो पवित्र भक्ति से शक्ति जागरण हो सकती है। आत्मा का कल्याण कर सकते हैं।
पूज्यप्रवर की भक्ति अभिवंदना में सभा मंत्री धर्मेन्द्र बोथरा, महिला मंडल व कन्या मंडल, स्थानकवासी समाज से पुखराज मेहता, जैन श्राविका मंडल, रमेश तातेड़ (मूर्तिपूजक समाज), नगरपालिका चेयरमैन गौतमचंद टाक, दिनेश सिंघवी, मयंक भंडारी, आशा बोथरा, मुख्य अतिथि के0सी0 बोकड़िया, बालिका मंडल ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। छोटे बच्चों ने कविताएँ गाकर भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।