नव वर्ष में भौतिक कार्यों के साथ आध्यात्मिक कार्यों में भी करें समय का नियोजन: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

नव वर्ष में भौतिक कार्यों के साथ आध्यात्मिक कार्यों में भी करें समय का नियोजन: आचार्यश्री महाश्रमण

पूज्यप्रवर के सान्निध्य में आयोजित हुआ अभिनव सामायिक फेस्टिवल

कनाना, 1 जनवरी, 2023
इसवीं सन् 2023 नववर्ष का प्रथम दिन। आज का सूर्य एक नव प्रभात लेकर उदित हुआ है। 2022 की विदाई और 2023 का प्रारंभ। नया वर्ष नई उम्मीदें लेकर आता है। हर कोई अपना मंगल चाहता है। अपने इष्ट अपने गुरु से मंगल आशीर्वाद लेना चाहता है कि उनका पूरा वर्ष मंगलमय हो। आज इस छोटे से ग्राम कनाना में तेरापंथ के राम पधारे हैं। उनका मंगल आशीर्वाद लेने हजारों राम भक्त हनुमानरूपी श्रावक आए हैं। जन-जन के राम, मंगल प्रदाता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने नववर्ष की पावन बेला में अमृत वर्षा का रसपान कराते हुए फरमाया कि अर्हत वाङ्मय में कहा गया है-हमारे जगत में द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव-ये चार चीजें होती हैं। इन सबका अपना महत्त्व है। आज यहाँ एक प्रसंग काल के संदर्भ में आयोजित किया जा रहा है।
काल के तीन विभाग होते हैं। अतीत, वर्तमान और भविष्य। जो भविष्य है, वह कभी वर्तमान बनता है और अतीत के महागर्त में विलीन हो जाता है। जैन दर्शन में काल की लघुतम ईकाई समय है। समय एक पारिभाषिक शब्द है। एक आँखों का अनिमेष करें तो असंख्य समय बीत जाते हैं, समय को कोई पकड़ नहीं सकता। समय तो निरंतर चलता रहता है। काल एक दर्शन का विषय भी बनता है। हम काल के आधार पर व्यवहार चलाते हैं। 31 दिसंबर, 2022 चला गया। आज 1 जनवरी, 2023 का दिन है। एक वर्ष 2022 चला गया। इसमें सभी अंक 2-2 थे। लाभ-अलाभ, सुख-दुःख, राग-द्वेष-ये भी दो-दो हैं। दिन-रात की व्यवस्था है। 2022 में अक्षर समान थे, 2023 में असमानता आ गई है। समानता-असमानता भी अध्ययन का विषय है।
हम भगवान महावीर और आचार्यश्री भिक्षु के जीवन को देखें तो अनेक समानताएँ-असमानताएँ हैं। आचार्य भिक्षु भगवान महावीर की वाणी के भक्त थे। व्याख्या करने वाले थे। तीर्थंकर नहीं तो तीर्थंकर के प्रतिनिधि के रूप में देख सकते हैं। उनके गृहस्थ जीवन और संयम जीवन में अनेक समानताएँ देख सकते हैं। आज नए वर्ष का प्रथम दिन है। नए वर्ष के संदर्भ में मंगलपाठ का श्रवण करवाया। आर्षवाणी-धर्म के पाठ का विशेष महत्त्व होता है। एक वर्ष के लिए संकल्प स्वीकार करवाए। नया वर्ष आध्यात्मिकता के रूप में मंगलमय रहे। नव वर्ष में सबके मन में उल्लास रहे।
जन्म दिवस भी आता है। जब नया आता है, तो एक वर्ष जीवन का कम हो जाता है। आदमी चिंतन करे कि समय का बढ़िया उपयोग हो। नया वर्ष धार्मिक एवं आध्यात्मिक कार्यों में बीते। सवेरे-सवेरे एक सामायिक रोज हो जाए वो ब्रह्म बेला, अमृत बेला होती है। आज अभिनव सामायिक का प्रयोग किया गया। शनिवार सायं 7 से 8 सामायिक करें। यह लोकोत्तर कार्य है। सांसारिक कार्य चलता रहता है। हमेशा समय को सफल बनाने का प्रयास करें। रात को सोने से पहले सोचें कि मैंने आज सुकृत-धर्म का काम क्या किया?, कोई विशेष गलती तो नहीं हुई। प्रतिदिन सफल हो साथ में संयम की, धर्म की साधना होती रहे।
पूज्यप्रवर ने मुख्य प्रवचन व मंगलपाठ से पूर्व अभिनव सामायिक का प्रयोग कराया। अभिनव सामायिक फेस्टिवल नववर्ष के प्रथम रविवार को अभातेयुप के तत्त्वावधान में देश-विदेश सभी जगह स्थानीय तेयुप करवाती है। विवेकपूर्ण पुरुषार्थ हर आदमी के लिए कल्याणकारी बन सकता है, यह एक प्रसंग से समझाया गया कि हम सम्यक् पुरुषार्थ करें। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी, मुख्य मुनि महावीर कुमार जी, साध्वीवर्या सम्बुद्धयशा जी आदि साधु-साध्वियाँ, समणियाँ जितना संभव हो समय की अनुकूलता और स्वास्थ्य की अनुकूलता के अनुसार उद्योत करते रहें। उद्यम करते रहें। सभी अपने-अपने ढंग से धार्मिक-आध्यात्मिक कार्य करते रहें।
मानव जीवन मिला है, इसमें आत्मकल्याण-आत्मा के शोधन का काम करें। हमारा आत्मरूपी लोहा वो संयमरूपी मणी के लग जाए तो आत्मा सोना बनेगी तो वो बड़ी बात होगी। मानव जन्म का कल्याण हो जाएगा। गृहस्थों को आर्थिक कमाई के साथ धर्म की कमाई करने का भी प्रयास करना चाहिए। धर्म की कमाई तो आगे भी काम आ सकेगी। हमारी संवर की साधना निर्मल रहे। ज्ञान-ध्यान जितना कर सकें करें। सभी धार्मिक पुरुषार्थ करें। हमारे पास करणीय पुरुषार्थ है, भाग्य तो है, जैसा है।
कनाना मठ के परशुराम गिरि जी महाराज से मिलकर पूज्यप्रवर ने फरमाया कि आज बाबा से बाबा मिले हैं। वस्त्र तो अपने-अपने हैं। मूल चीज तो आत्मा है। चेतना हमारी अच्छी रहे। हम दूसरों के कल्याण में भी योगदान देते रहें। कहाँ-कहाँ से लोग इस छोटे से गाँव में आए हैं। सभी में धार्मिक चेतना का विकास हो। हमारा समता-शांति का भाव बना रहे। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि नव वर्ष के प्रथम दिन सबका आकर्षण रहता है। आदमी प्रतिकूल स्थिति में भी सुख खोज सकता है। हमारे आचार्यश्री जागरूकता का जीवन जी रहे हैं। इसके लिए समय का प्रबंधन जरूरी है। कीर्तिमान स्थापित करने के लिए सम्यक् पुरुषार्थ करना होता है। हम विवेकपूर्ण पुरुषार्थ करते हुए नव वर्ष में प्रवेश करें तो हमें मंजिल मिल सकती है। नव वर्ष में नई सोच, नए संकल्प के साथ प्रवेश करना है।
पूज्यप्रवर के सान्निध्य में स्थानीय मठ के महंत श्री परशुराम जी व उनके साथ पधारे महंतजी ने अपनी भावना पूज्यप्रवर के चरणों में अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सरपंच चैनकरण राठौड़, स्थानीय सभाध्यक्ष भैंरूलाल डागा, व्यवस्था समिति संयोजक सुरेश कोठारी, तेममं, कन्या मंडल ने समूह गीत से, ओसवाल समाज से मनोज मालू ने अपनी भावना अभिव्यक्त की।
मुनि सुमति कुमार जी साध्वी उर्मिला कुमारी जी एवं समणी प्रतिभाप्रज्ञा ने पूज्यप्रवर के दर्शन किए और गीत, एवं अपनी भावना श्रीचरणों में अर्पित की। बालोतरा, इचलकरंजी एवं खानदेश तेयुप ने 2023 के कैलेंडर श्रीचरणों में अर्पित किए। बाबूलाल देवता ने 31 की तपस्या के प्रत्याख्यान पूज्यप्रवर के श्रीमुख से ग्रहण किए। स्थानीय ज्ञानशाला की प्रस्तुति हुई। कनाना जैन महिला मंडल ने गीत की प्रस्तुति दी। बालोतरा मेयर ने भी पूज्यप्रवर के दर्शन किए। स्कूल के अध्यापकों ने बच्चों के संकल्प लिखित रूप में पूज्यप्रवर को अर्पित किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।