त्याग-तपस्या है साधु का सबसे बड़ा धन: आचार्यश्री महाश्रमण
बालोतरा, 8 जनवरी, 2023
राजस्थान का कपड़े की रंगाई और छपाई का मुख्य केंद्र बालोतरा है, त्रिदिवसीय वर्धमान महोत्सव के उपलक्ष्य में तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता बालोतरा पधारे।
वर्तमान के वर्धमान ने नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के साथ वर्धमान महोत्सव का शुभारंभ किया। प्रभु वर्धमान की स्तुति करते हुए आचार्यप्रवर ने फरमाया कि तपस्या एक आध्यात्मिक जगत का शब्द है। साधना से जुड़ा हुआ तप है। साधु निर्ग्रन्थ होते हैं। साधु पैसे से तो निर्धन हैं। परंतु साधु के पास ऐसा धन हो सकता है, जो अपने आपमें बहुत कल्याणकारी हो सकता है। निर्ग्रन्थ का धन है, तपस्या। योग साधना, कषायमुक्तता की साधना साधु का धन है। फिर ज्ञान हो तो ज्ञान भी साधु का धन है। केवलज्ञान साधु में ही हो सकता है। केवल ज्ञान तो परम उच्च कोटि का हो जाता है। साधु के पास जो धन है, वो गृहस्थों के पास होना मुश्किल होता है।
आचार्यश्री ने एक प्रसंग से समझाया कि जिसके पास भौतिक संपत्ति नहीं है, जो अकिंचन बन गया, सारा परिग्रह छोड़ दिया वह सारी दुनिया का मालिक है। वही सच्चा साधु है, वह सच्चा गुरु बन सकता है। अमीरी तो फकीरी के सामने झुकती है। जिस साधु के जीवन में तपस्या है, त्याग है, कंचन कामिनी का त्यागी है, यही साधु का धन है। इसलिए साधु को तपोधन कहा गया है। परिषह सहन करना भी तप है। साधु इस धन की सुरक्षा करे। मोहनीय कर्म लुटेरा बन वह धन चुरा सकता है। संयम रत्न और सम्यक्त्व रत्न ये दो रत्न सुरक्षित रहें। गृहस्थ को भी इनका जितना हो सके पालन कर उसकी सुरक्षा करने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ भी तपोधन बन सकते हैं।
आज बालोतरा आए हैं। आज भी कई सिंघाड़े मिले हैं। सभी साध्वियाँ खूब अच्छा काम करने का प्रयास करें। पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सभाध्यक्ष धनराज ओस्तवाल, नगरपालिका अध्यक्षा सुमित्रा वेद मूथा, स्वागताध्यक्ष देवराज खींवेसरा ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। तेरापंथ समाज द्वारा गीत से आचार्यप्रवर की अभ्यर्थना की गई।पूज्यप्रवर के स्वागत-अभ्यर्थना में कई तपस्वियों ने बड़ी तपस्या के प्रत्याख्यान पूज्यप्रवर से स्वीकार किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।