साध्वी स्थितप्रभा जी की स्मृति सभा
जयपुर।
तेरापंथी सभा, जयपुर व भिक्षु साधना केंद्र समिति के तत्त्वावधान में शासन गौरव साध्वी कनकश्री जी के सान्निध्य में साध्वी स्थितप्रभा जी की स्मृति में गुणानुवाद सभा आयोजित हुई। सर्वप्रथम उनके परिवार की तरफ से बबीता घीया, प्रज्ञा घीया, बबीता डोसी ने गीत के द्वारा दिव्यात्मा को श्रद्धा समर्पित की। हैदराबाद सभा अध्यक्ष बाबूलाल बैद ने कहा कि हमें गौरव है, हमारी निकट परिवार की सदस्या समणीजी पर, जिनकी सेवा-उपासना का सौभाग्य हमें मिला। उसके प्रतिदान में समणीजी द्वारा हमें जीवन दृष्टि मिली। हमारी धार्मिक रुचि और संघ-संघपति के प्रति आस्था का भाव दृढ़ हुआ। मनीषा घीया ने पूज्यप्रवर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए संदेशों का वाचन किया।
डॉ0 सुशीला बाफना ने कहा कि समणीजी का जीव एक दृष्टि से यूनिक था। वे सौभाग्यशाली थी। गुरुकृपा से अंतिम समय में शासन गौरव साध्वी की सन्निधि में समाधिपूर्वक साधना-आराधना करती हुई अंत में संयम जीव और अनशनपूर्वक देह त्याग दिया। इस अवसर पर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष हिम्मत डोसी, मंत्री सुरेंद्र बैंगाणी, नोरतनमल नखत (अध्यक्ष भिक्षु साधना केंद्र समिति), पुष्पा बैद (पूर्व अध्यक्ष अभातेममं), नीरू पुगलिया (तेममं, सी-स्कीम) आदि ने भावभीनी श्रद्धांजलि समर्पित की। शासन गौरव साध्वी कनकश्री जी ने समणी स्थितप्रज्ञा जी से साध्वी स्थितप्रभा तक की यात्रा की उपलब्धि दो वाक्यों में बताई कि उन्होंने आत्मनिष्ठा, गुरुनिष्ठा और नियम निष्ठा से गुरुवरत्रयी की कृपा और विश्वास प्राप्त किया।
समणी डॉ0 कुसुमप्रज्ञा जी ने सहदीक्षित समणी स्थितप्रज्ञा जी की विरल विशिष्टताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि कठोर श्रम करने वाली, दृढ़-संकल्पी, सहयोगी स्वभाव वाली थी। समणी नियोजिका अमलप्रज्ञा जी ने कहा कि जितनी ऊर्जा संपन्न थी, उतनी ही विनम्र थी। साध्वी पुण्यप्रभा जी ने उनकी भावी यात्रा मंगलकामना हो, उनका भविष्य उज्ज्वलतम हो यह भावना व्यक्त की। साध्वी मधुलता जी ने कहा कि हमने देखा साध्वीश्री जी के सान्निध्य में वे 20 दिन रही। वे प्रायः प्रसन्नता और स्वस्थता का अनुभव करती थी। साध्वियों ने व समणीवृंद ने भी गीतों का संगान कर अपनी भावांजलि समर्पित की। समणी मृदुप्रज्ञा जी ने कहा कि गुरुकृपा से मुझे इस अवसर पर समणी स्थितप्रज्ञा जी की सेवा में रहने का अवसर मिलने से सुखद क्षण चिरस्मरणीय रहेंगे, अंत में चार लोगस्स का सामूहिक ध्यान कर मध्यस्थ भावना का प्रयोग किया गया। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन सुशीला नखत ने किया।