शांति के लिए अहिंसा की शरण में आना अपेक्षित: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

शांति के लिए अहिंसा की शरण में आना अपेक्षित: आचार्यश्री महाश्रमण

कानोड़, 22 जनवरी, 2023
मर्यादा पुरुष आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः लगभग 14 किलोमीटर का विहार कर धवल सेना के साथ कानोड़ पधारे। परमपूज्यश्री ने मंगल पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि दुनिया में अहिंसा और मैत्री की अपनी शक्ति होती है। हिंसा का अपना तांडव हो सकता है, परंतु शांति के लिए अहिंसा की शरण में आना अपेक्षित होता है। हिंसा का मार्ग दुःख का मार्ग है। हिंसा दुखों की जननी है। अहिंसा धर्म है, शांति प्रदाता तत्त्व है। आदमी जीवन में हिंसा से बचने का यथासंभव प्रयास करे। सबके प्रति मैत्री का भाव रखे। बैर से बैर बढ़ता है। रक्त से सने कपड़े को रक्त से नहीं धोया जा सकता। बैर को मैत्री से साफ किया जा सकता है। किसी के साथ बैर-विरोध हो तो खमतखामणा कर लें।
एक प्रसंग से समझाया कि ईष्र्या को मैत्री से जीतें तो ईष्र्या करने वाले का मन बदल सकते हैं। मन में दूसरे के प्रति बड़प्पन रखें। पेड़ चोट खाकर भी फल देता है। बड़ों में उदारता रहे। रस्सी को दोनों ओर से खींचने से वह टूट सकती है। दोनों तरफ ढील छोड़ दो तो कोई गिरता नहीं है। मैत्री और उदारता से अनेक झगड़ों से बचा जा सकता है। मतभेद, विचार भेद हो सकता है, पर मन भेद न हो। हमारे व्यवहार में एकता रहे। कल्याण में सहयोगी बने। किसी के कार्य में बाधा न डालें, जितना हो सके सहयोग करने का प्रयास करें। मैत्रीपूर्ण विचारधारा रखें, यह काम्य है।
सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति को समझाकर पूज्यप्रवर ने स्थानीय लोगों को संकल्प स्वीकार करवाए। स्कूल के विद्यार्थियों ने भी संकल्प स्वीकार करवाए। पूज्यप्रवर के अभिवादन में गाँव के ठाकर किशोरसिंह, कानोड़ सरपंच प्रतिनिधि जोरावर सिंह, स्कूल के विद्यार्थियों ने गीत की प्रस्तुति दी। श्रावक जिनेश्वर तातेड़, उपासक नैनमल कोठारी, तातेड़ परिवार की महिलाओं ने गीत का संगान किया। राणीदेवी दामोदर तातेड़, विजयराज मेहता ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। व्यवस्था समिति द्वारा विद्यालय परिवार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।