अवबोध

स्वाध्याय

अवबोध

धर्म बोध
तप धर्म

प्रश्न 19 : स्वाध्याय किसे कहते हैं, उसके कितने प्रकार हैं?
उत्तर : अध्यात्मशास्त्र के अध्ययन को स्वाध्याय करते हैं। उसके पाँच प्रकार हैं-
(1) वाचना (अध्यापन) (2) पृच्छता (पूछना)
(3) परावर्तन (कंठस्थ पाठ को चितारना) (4) अनुप्रेक्षा (अर्थ चिंतन)
(5) धर्मकथा।

प्रश्न 20 : ध्यान किसे कहते हैं, उसके कितने प्रकार हैं?
उत्तर : योग निरोध को ध्यान कहा जाता है, इस परिभाषा के आधार पर ध्यान के गीत प्रकार होते हैं-
(1) मानसिक, (2) वाचिक, (3) कायिक।
एकाग्र चिंतन को ध्यान कहा जाता है। इस परिभाषा के आधार पर ध्यान के चार प्रकार होते हैं।
(1) आत्र्त, (2) रौद्र, (3) धम्र्य, (4) शुक्ल।
इनमें प्रथम दो अप्रशस्त, अंतिम दो प्रशस्त हैं।

प्रश्न 21 : व्युत्सर्ग किसे कहते हैं, उसके कितने प्रकार हैं?
उत्तर : शरीर आदि की क्रियाओं को विसर्जित करना व्युत्सर्ग है। उसके दो प्रकार हैं-
(1) द्रव्य व्युत्सर्ग (2) गण व्युत्सर्ग
द्रव्य व्युत्सर्ग के चार प्रकार हैं-
(1) शरीर व्युत्सर्ग (2) गण व्युत्सर्ग
(3) उपधि व्युत्सर्ग (4) भक्तपान व्युत्सर्ग
भाव व्युत्सर्ग के तीन प्रकार हैं-
(1) कषाय व्युत्सर्ग - क्रोध आदि कषायों का विसर्जन।
(2) संसार व्युत्सर्ग - परिभ्रमण का विसर्जन।
(3) कर्म व्युत्सर्ग - कर्म पुद्गलों का विसर्जन।
काय-शरीर का व्युत्सर्ग करना कायोत्सर्ग है। कायोत्सर्ग खड़े, बैठे और लेटे-इन तीनों अवस्थाओं में किया जा सकता है।

(क्रमश:)