अणुव्रत आचार शुद्धि का धर्म: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

अणुव्रत आचार शुद्धि का धर्म: आचार्यश्री महाश्रमण

वासन, गांधीनगर (गुजरात) 7 मार्च, 2023
पूज्यप्रवर आचार्यश्री महाश्रमण जी अहमदाबाद की ओर अग्रसर हैं। मार्ग में गुरुदेव का वासन पधारना हुआ। शांतिदूत ने मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष चल रहा है। अणुव्रत यानी छोटे-छोटे अच्छे-अच्छे नियम जीवन में आ जाते हैं तो आदमी का जीवन अच्छा रह सकता है। हमारी यात्रा भी अणुव्रत यात्रा से अभिहित है। मंगलवार को संयम के रूप में रखा जा सकता है। अणुव्रत संयम की बात बताने वाला, नैतिकता की चेतना को जगाने वाला, अहिंसा का संदेश देने वाला एक उपक्रम है। यह धर्म ग्रंथों, पंथों में पड़ा न रहे बल्कि उसे जीवन में उतारने का प्रयास करें तो आत्मा का कल्याण हो सकता है। कोई भी संप्रदाय हो अणुव्रत कहता है कि धर्म को जीवन में लाएँ। आदमी के भाव में धर्म आ गया तो व्यवहार में आना सुगम है।
गुरुदेव ने फरमाया कि जैसा भाव होता है, वैसा व्यवहार बन सकता है। अणुव्रत आचार शुद्धि लाने वाला धर्म है। आप आस्तिक हो या नास्तिक अणुव्रत को इससे कोई लेना-देना नहीं। आपका आचार-व्यवहार अच्छा होना चाहिए। इंसान पहले इंसान फिर हिंदू या मुसलमान है यही अणुव्रत का संदेश है।
जीवन में दो चीजें आ जाएँ-चोरी नहीं करना झूठ नहीं बोलना तो मानना चाहिए कि जीवन में ईमानदारी आई है। सच्चाई-अच्छाई कहीं से भी मिल जाए, ले लेना चाहिए। अणुव्रत सांप्रदायिक उन्माद को नहीं मानता। संप्रदाय छिलके के समान है, धर्म उसका मूल गुदा है। संप्रदाय तो सुरक्षा के लिए है। आत्मा का महत्त्व ज्यादा है। शरीर तो एक दिन खत्म होने वाला है। आत्मा तो शाश्वत है। किसी कारण संप्रदाय भले छूट जाए पर धर्म को मत छोड़ो। अहिंसा, संयम और तप धर्म है। कर्म स्थान में भी धर्म रहना चाहिए। धर्म स्थान में भी अपने ढंग से रहें। धर्म आदमी के जीवन में, आचरणों में आए। मंगलवार संयम दिवस है, सबके जीवन में संयम रहे। आज यहाँ वासन विद्या मंदिर में आए हैं। विद्यार्थियों को अणुव्रत, नैतिकता, संयम की प्रेरणा मिलती रहे। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।