विनयशील बनें, प्रसन्न रहें: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

विनयशील बनें, प्रसन्न रहें: आचार्यश्री महाश्रमण

आजोल, गांधीनगर (गुजरात) 5 मार्च, 2023
अनंत आस्था के केंद्र आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः बीजापुर से लगभग 12 किलोमीटर का विहार कर आजोल गाँव में पधारे। मार्ग में पूज्यप्रवर स्थानक भवन एवं गोजारियाँ गाँव के बाहर होते हुए पधारे। परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमण जी ने मंगल प्रवचन में फरमाया कि शास्त्र में चार समाधियों में से विनय समाधि प्रथम है। दसवेंआलियं के नौवें अध्ययन के चार विभागों में से यह पहला विभाग विनय समाधि है। आदमी को शांति चाहिए, चित्त समाधि चाहिए, चित्त में प्रसन्नता होती है, तो बीमारी भी परेशान नहीं करती। इसलिए विनयशील बनें और सदा प्रसन्न रहें।
गुरुदेव ने फरमाया कि चैत्तसिक प्रसन्नता जीवन में रहती है, तो एक उपलब्धि है। विनय से भी आदमी को शांति-समाधि की प्राप्ति हो सकती है। अहंकार सामान्यतया हितकर नहीं होता है। शान है, पर ज्ञान में घमंड आ जाए तो ज्ञान की शोभा में कमी आ सकती है। इसे एक प्रसंग से समझाया। उन्होंने कहा कि पश्चिम रात्रि का समय अमृत वेला है। उस समय स्वाध्याय-जप करना अच्छा है। उस समय साधना करनी चाहिए। संघ के प्रति निष्ठा हो। जीवन में निरअहंकारता, विनयता रहेगी तो चित्त में समाधि रहेगी।
शासनश्री साध्वी ज्ञानप्रभा जी की स्मृति सभा
पूज्यप्रवर ने साध्वी ज्ञानप्रभा जी के जीवन प्रसंग के बारे में समझाया। वे 33 वर्ष तक साध्वी मालूजी के साथ रही थी। वर्तमान में वे साध्वी शुभप्रभा जी के साथ में थी। साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा जी की सहदीक्षित थी। पूज्यप्रवर ने उनकी आध्यात्मिक मंगलकामना के रूप में चार लोगस्स का ध्यान करवाया। मुनि महावीर कुमार जी एवं साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने दिवंगत साध्वीश्री जी के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना करते हुए उनकी आत्मा के ऊध्र्वारोहण की मंगलकामना भी की। साध्वी उदितयशा जी ने भी अपनी भावना अभिव्यक्त की। पूज्यप्रवर के स्वागत में सीएमडी शाह हाईस्कूल की ओर से नरेंद्र भाई सुथार, भूपेंद्र भाई गोसांई ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। व्यवस्था समिति की ओर से हाईस्कूल परिवार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।