आत्मकल्याण के लिए नवतत्त्ववाद को जानना जरूरी: आचार्यश्री महाश्रमण
कोटेश्वर-मोटेरा, अहमदाबाद (गुजरात) 12 मार्च, 2023
तेरापंथ के ईश्वर आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः कोबा से विहार कर अहमदाबाद के उत्तरी क्षेत्र कोटेश्वर के शाश्वत स्कूल में पधारे। मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए महातपस्वी ने फरमाया कि एक आत्ममुखी, एक आत्मा को ही प्रमुख मानकर चलने वाला है। हमारी दुनिया में अनंत आत्माएँ हैं और शरीर भी हैं। जो हमें निर्जीव पुद्गल दिखाई दे रहे हैं, वे भी कभी किसी जीव के शरीर में रहे होंगे। दुनिया में दो तत्त्व हैंµजीव और अजीव। जीव-आत्मा अमूर्त ही होती है। पर जो अजीव है, वो कई मूर्त और अमूर्त भी होते हैं। पूरे लोकाकाश की अपेक्षा से दो ही तत्त्व हैंµजीव और अजीव।
इनका विस्तार किया जाए तो यह लोक छः द्रव्यों वाला होता है। जैन धर्म में षड् द्रव्यवाद है, तो नव तत्त्ववाद भी है। प्रश्न होता है कि क्या छः द्रव्यों में नवतत्त्व समाविष्ट नहीं हो सकते अथवा क्या नवतत्त्वों में छः द्रव्य समाविष्ट नहीं हो सकते। छः द्रव्यवाद अस्तित्ववाद है। जहाँ लोक के बारे में जानना है, वह छः द्रव्य से जाना जा सकता है। दुनिया छः द्रव्यों वाली है। गुरुदेव ने आगे फरमाया कि आत्मा का कल्याण करना है, सर्व दुःख मुक्ति प्राप्त करना है एवं मोक्ष प्राप्त करना है तो नवतत्त्ववाद को जानना होगा। नवतत्त्व उपयोगितावाद है, अध्यात्मवाद है। इन नौ तत्त्वों को जान लेना, इन पर श्रद्धा कर लेना यह सम्यक्त्व की बात होती है। सम्यक्त्व प्राप्ति हो जाती है। धार्मिक ज्ञान का मौलिक तत्त्व हैµनवतत्त्ववाद। अध्यात्म का सूक्ष्म रूप है।
आत्मा अपने आपमें अकेली है, एक आत्मा की तरफ मुख रखो। जीव अकेला आता है, अकेला जाता है। आत्मा ही कर्मों की कर्ता-भोक्ता है। यह एक प्रसंग से समझाया। सुविधा भोगने में सब साथ हैं, कर्म का फल भोगने में कोई साथ नहीं है। संतों की संगति होने से दुर्जन भी सज्जन बन सकता है। साधु भी बन सकता है। पाप कर्म के बंध से बचें। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि गुरुदेव के प्रवचन से लोग अच्छे इंसान, सज्जन व्यक्ति बन रहे हैं। सज्जन व्यक्ति दूसरों का संताप हरता है। हम सब दुःख मुक्त बनें। जब तक व्यक्ति को महान व्यक्ति, गुरु का सान्निध्य नहीं मिलता है, उसका दुःख दूर नहीं होता है।
पूज्यप्रवर के स्वागत में उत्तर अहमदाबाद तेरापंथ सभाध्यक्ष गणपत खतंग, बीजेपी कर्णावती महिला प्रकोष्ठ से अंजली कौशिक, ज्ञानशाला, तेयुप, महिला मंडल, कन्या मंडल ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।