विशेष कार्यशाला का आयोजन

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विशेष कार्यशाला का आयोजन

चंडीगढ़।
इस समय परीक्षाओं का दौर है। बच्चे पढ़ाई में जुटे हुए हैं, ज्ञान अर्जित के लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होती है, बिना मेहनत के मिली सफलता का स्वाद अच्छा नहीं होता। मंजिल के प्रति स्पष्टता हो तो एक दिन जरूर पहुँचेंगे। ज्ञान एक ऐसा समुद्र है, जिसमें जीवन-भर विद्यार्थी बने रहना चाहिए। ज्ञान ही हमारा मित्र है, हमारा मार्गदर्शक है, ज्ञान के बिना मनुष्य की कल्पना नहीं हो सकती। यह शब्द मनीषी संत मुनि विनय कुमार जी ‘आलोक’ ने अणुव्रत भवन, तुलसी सभागार में व्यक्त किए।
मुनिश्री ने आगे कहा कि जो करता वह खुद को आगे नहीं रखता वह तो ओरों के द्वारा सराहा जाता है। हमारा शास्त्र भी कहता हैµअसीम को पाना है तो निरर्थक की धारणा को त्याग दो। जो लोग महान हुए हैं उन्होंने कार्य और ज्ञान को पूजा है। यश और धन तो स्वयं चला आता है। जिन लोगों ने निर्माण किया और जो लोग सफल हुए हैं, उनकी शक्तियों का आधार एक अदृश्य और असीम वह शक्ति है जो मानव सीमा से बाहर है। यह है अध्यात्म की शक्ति, अध्यात्म का अर्थ पूजा से लिया जाता है पर इसकी व्याख्या को सीमित नहीं किया जा सकता। मुनिश्री ने अंत में बताया कि सफल व्यक्ति हर कार्य को गंभीरता से लेता है, उसका दिल, दिमाग और काम तीनों का अच्छा ताल-मेल होता है। हम अपनी क्षमता का बहुत छोटा-सा हिस्सा अपने विकास पर खर्च करते हैं, क्योंकि हम क्या कर सकते हैं ये हम कभी नहीं सोचते एक लकीर पर चलकर जीवन गुजार देते हैं।