धरती को स्वर्ग बनाने के लिए धारण करें अहिंसा का सिद्धांत: आचार्य देवव्रत

गुरुवाणी/ केन्द्र

धरती को स्वर्ग बनाने के लिए धारण करें अहिंसा का सिद्धांत: आचार्य देवव्रत

महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी ने कहा कि आप लोगों को आचार्यप्रवर से जीवन दर्शन सुनने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। आचार्यश्री जैन धर्म के महाव्रतों का सावधानी से पालन करते हैं। सकारात्मक सोच ही हमें भौतिक, आध्यात्मिक और मानसिक रूप से बल देने वाली है। आज दो पत्रकारों को पत्रकारिता के क्षेत्र में सम्मानित किया जा रहा है। दोनों को बहुत-बहुत बधाई व साधुवाद भविष्य में भी आप प्रगति करते रहें।
भगवान महावीर ने जो दर्शन दिया वो सार्वभौतिक है। वो हर काल, हर देश में समान रूप से लागू होने वाला है। अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह वो सिद्धांत हैं, जो धर्म का वास्तविक रूप हैं। दो शब्द हैंµहिंसा और अहिंसा। इन दोनों में जो टिक जाए, स्वीकार्य हो जाए वो धर्म है। अहिंसा सार्वभौम धर्म है। चोरी दूसरों की वस्तु की होती है। त्याग अपनी चीज का होता है। ये संसार शाश्वत नहीं है। ये सिद्धांत सारे मानव अपने हृदय में धारण कर लें तो धरती पर स्वर्ग हो जाएगा। इसी परंपरा का पालन आचार्यश्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी ने किया और आज इस परंपरा को आचार्य महाश्रमण जी जन मानस में बढ़ा रहे हैं। पूरी मानवता के लिए सौभाग्य की बात है। सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।