सुविचारों से मन को बनाएँ सुमन: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

सुविचारों से मन को बनाएँ सुमन: आचार्यश्री महाश्रमण

कांकरिया, मणिनगर, 27 मार्च, 2023
अध्यात्म जगत के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमण जी अहमदाबाद के उपनगरों की यात्रा करते हुए शाहीबाग से दक्षिणी भाग कांकरिया मणिनगर के क्षेत्र में स्थित जे0एम0 जैन हाउस में प्रवास हेतु पधारे। शाहीबाग से प्रातः विहार के साथ हजारों-हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने विदाई दी। मार्ग में जगह-जगह पूज्यप्रवर श्रावक समाज को आशीर्वाद प्रदान करते हुए आगे बढ़ रहे थे। न्यू क्लोक मार्केट में पूज्यप्रवर जैन मंदिर में भी पधारे। कांकरिया मणिनगर के सैकड़ों-सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने अणुव्रत सर्कल पर पूज्यप्रवर की अगवानी की। विशाल जुलूस के साथ पूज्यप्रवर का जे0एम0 जैन हाउस में पदार्पण हुआ। झुलेलाल ओपन ऐयर ग्राउंड में परम पावन ने मंगल देशना प्रदान करते हुए एक प्रसंग से समझाते हुए फरमाया कि दुनिया में सबसे बड़ा आकाश होता है। आकाश अनंत है, उसका कोई आरपार नहीं होता।
दुनिया में सबसे आसान काम दूसरों की निंदा-आलोचना करना होता है। सबसे कठिन काम हैµअपनी आत्मा की पहचान करना, जानना दुनिया में सबसे गतिशील आदमी का मन-विचार होता है। हम समनस्क प्राणी हैं और आत्मा मूल तत्त्व है। आत्मा और शरीर का संयोग जीवन है। आत्मा, शरीर, मन और वाणी ये चार चीजें हो जाती हैं। मूल तो आत्मा है, शेष तीन आत्मा के कर्मकर होते हैं। सूक्ष्म शरीर-तेजस और सूक्ष्मतर शरीर कार्मण शरीर भी होता है। अध्यात्म साधना के द्वारा आत्मा को देखा जा सकता है। मन में चंचलता, निर्मलता या मलीनता भी हो सकती है। समनस्क प्राणी नरक में भी जा सकता है, तो ज्यादा धर्म की साधना भी मन वाला प्राणी ही कर सकता है।
मन एक शक्ति है। हम अपने मन को सुमन बनाएँ। दुर्मन पाप कर्म वाला होता है। हमारे मन में अच्छे विचार रहें। अणुव्रत के छोटे-छोटे नियम जीवन में आएँ। प्रेक्षाध्यान से भी मन की चंचलता कम हो सकती है। राग-द्वेष के भाव से मन की चंचलता बढ़ जाती है। मन तो एक पंखे जैसा है। वर्तमान में अणुव्रत यात्रा चल रही है। हमारा मनोबल अच्छा रहे। प्रयास, अभ्यास और वैराग्य से मन की चंचलता को कम किया जा सकता है, अच्छा बनाया जा सकता है। अहमदाबाद की संत अंतर्यात्रा के अंतर्गत कांकरिया-मणिनगर क्षेत्र में आना हुआ है। चोरड़ियाजी का मकान भी है। यहाँ वयोवृद्धा साध्वी रामकुमारी जी प्रवासित हैं। खूब अच्छा रहे। अच्छा विकास हो।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि जो व्यक्ति अपने अतीत, वर्तमान व भविष्य का मूल्य नहीं जानता वह अपनी अस्मिता को नहीं रख पाता। पूज्यप्रवर भावी पीढ़ी को संस्कारित बनाने के लिए प्रलंभ यात्राएँ करवा रहे हैं। आचार्यप्रवर के मन में परोपकार की भावना है। जो व्यक्ति परोपकार की भावना रखता है व अमर बन जाता है। परम पावन लोगों का आत्मोत्कर्ष-उत्थान कर रहे हैं। पूज्यप्रवर की अभिवंदना में कांकरिया-मणिनगर सभाध्यक्ष विरेंद्र मुणोत, उपासक डालमचंद नौलखा, रायचंद लूणिया, जीतमल चोरड़िया, श्वेता मुणोत व महिला प्रकोष्ठ ने अपनी प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों की सुंदर प्रस्तुति हुई। ज्ञानार्थियों एवं महिलाओं ने संकल्प स्वीकार किए। शिल्पा भंसाली एवं नीता भंसाली ने 28 की तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।