भगवान महावीर जयंती पर कार्यक्रमों के आयोजन
ग्रीन पार्क, दिल्ली
ग्रीन पार्क गोयल भवन में समायोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शासनश्री साध्वी रतनश्री जी ने कहा कि महापुरुष जब धरती पर अवतरित होते हैं। तब शुभ क्षण, शुभ बेला, शुभ नक्षत्र अपने आप आ जाते हैं। महावीर ने चैत्र शुक्ला त्रयोदशी की मध्य रात्रि में उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जन्म लिया। उस समय भूमि और आकाश प्रफुल्लित थे। सब दिशाएँ आलोक से परिपूर्ण थी। वासंती पवन मंद-मंद गति से बह रही थी। वृक्ष-लताएँ फल-फूलों से लदी हुई थीं। 12 दिनों के बाद नामकरण संस्कार हुआ। जब वर्धमान नाम रखा गयाµकारण कि आप जब गर्भ में आए थे तब से लेकर जन्म तक राज्य में धन-धान्य, स्वर्ण-रजत, मणि-मुक्ता, बल, वाहन आदि में वृद्धि हुई, इस दृष्टि से राजा सिद्धार्थ ने वर्धमान नाम से अभिहित किया।
आपने 30 वर्ष की अवस्था में चढ़ते यौवन में सांसारिक बंधनों का विच्छेद करके चारित्र स्वीकार किया। वर्षों तक घोर तपस्याएँ कीं। भीषण संघर्षों को सहन किया। ध्यान-साधना से आत्मदर्शन के सागर में निमज्जन करते हुए कैवल्य ज्ञान उपलब्ध किया। विश्व को अहिंसा, अपरिग्रह और अनेकांत का पाठ पढ़ाया। शासनश्री साध्वी सुव्रतांजी, शासनश्री साध्वी सुमनप्रभा जी एवं साध्वी कार्तिकप्रभा जी ने महावीर के जीवन के संदर्भ में अनेकानेक घटना प्रसंगों का जिक्र किया। साध्वी चिंतनप्रभा जी ने सुमधुर स्वर लहरी से महावीर की अभिवंदना की। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने सुंदर प्रस्तुतियाँ दी। प्रशिक्षिकाओं ने सामूहिक गीत प्रस्तुत किया।
दिल्ली तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया, पूर्व अध्यक्ष गोविंद बाफना, दक्षिण दिल्ली तेरापंथ सभा अध्यक्ष हीरालाल गेलड़ा, प्रीतमपुरा तेरापंथ सभा मंत्री सुरेंद्र मालू, अणुव्रत न्यास के अध्यक्ष के0सी0 जैन, संजय चोरड़िया, सुरेंद्र सोनी, जैन संस्कार समिति के अध्यक्ष सुशील डागा, माया दुगड़, हेमा चोरड़िया, सपना लालानी, दक्षिण दिल्ली महिला मंडल आदि वक्ताओं ने भावाभिव्यक्ति दी। दक्षिण दिल्ली तेयुप ने रोचक एवं भावपूर्ण गीत का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन दक्षिण दिल्ली तेरापंथ सभा की मंत्री अरुणा डूंगरवाल ने किया।