मानव जीवन का परम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति: आचार्यश्री महाश्रमण
मुनि महेंद्रकुमारजी हमारे धर्मसंघ के उच्च कोटि के विद्वान संत थे
कंडारी, वड़ोदरा 10 अप्रैल, 2023
अध्यात्म जगत के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमण जी अणुव्रत यात्रा के साथ प्रातः कंडारी पधारे। आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि शास्त्रों में मोक्ष की बात आती है और मानव जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए, इस विषय में भी मैं यह बताना चाहूँगा कि मानव जीवन का परम लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति की साधना होना चाहिए।
जीवन में भौतिक सुविधाओं के संसाधन मिल गए पर कोई बड़ी बात नहीं। जीवन है कितना आखिर तो मृत्यु है। मृत्यु के बाद जन्म होता है। जैसे कर्म प्राणी करता है, वैसे फल भी उसे भोगने पड़ते हैं। स्थायी सुख तो मोक्ष में ही मिल सकेगा, इसके लिए कुछ साधना करें तो हमारा मानव जीवन सफल सिद्ध हो सकता है। भारत के पास प्राचीन ग्रंथों की ज्ञान संपदा है। संत भी विचरण करते हैं। धर्मों के भी विभिन्न पंथ हैं। मोक्ष की साधना में बाधाएँ भी हैं। जो आदमी चंड, क्रोधशील होता है, यह मोक्ष में बाधक है। गुस्सा ज्ञानार्जन में भी बाधक है। गुस्सा अनेक दृष्टियों से आदमी का शत्रु हो सकता है। मन में शांति रहे।
अहंकार भी बाधा है। जिंदगी में ज्ञान, पैसे और सत्ता का घमंड नहीं करना चाहिए। अभिमान तो सुरापान के समान है। निंदा करना, चुगली करना, अनुशासन व विनय को नहीं समझना, संविभाग करना भी बाधक है। विद्यार्थियों में ज्ञान के साथ अच्छे संस्कारों का विकास हो। संस्कार युक्त ज्ञान परिपूर्णता है। यह एक प्रसंग से समझाया कि परमात्मा सब जगह देखते हैं।
जीवन विज्ञान से अच्छे संस्कार आ सकते हैं। भावनात्मक विकास हो सकता है। अध्यात्म-योग के प्रयोगों द्वारा हम सबमें अच्छे भाव रहें तो आत्मा शुद्ध रह सकती है। साधु-साध्वियाँ अध्यात्म की संपदा हैं। पूज्यप्रवर ने सभी को ध्यान के प्रयोग करवाए। अच्छी बात सामान्यतया कहीं से भी लेने में संकोच न करें। पूज्यप्रवर ने विद्यार्थियों को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को समझाकर स्वीकार करवाए। व्यवस्था समिति द्वारा स्कूल परिवार का सम्मान किया गया। आज का पूज्यप्रवर का प्रवास मानव केंद्र ज्ञान मंदिर स्कूल कंडारी में हुआ। आगम मनीषी, बहुश्रुत परिषद के संयोजक मुनि महेंद्र कुमार जी की स्मृति सभा पूज्यप्रवर ने स्मृति सभा की शुरुआत करते हुए मुनि महेंद्र कुमार जी के जीवन परिचय के बारे में संक्षेप में फरमाया। मुनिश्री 20 वर्ष की युवावस्था में धर्मसंघ में दीक्षित हुए। वे ज्ञान के क्षेत्र में विकसित थे। अनेक भाषाओं के जानकार व शतावधानी थे। अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान के प्रचार-प्रसार में वे सक्रिय रहे थे। आगमों के संपादन में वे सहयोगी रहे और उनका साहित्यिक अवदान रहा है।
पूज्यप्रवर ने मुनिश्री के कालधर्म को प्राप्त होने पर 7 अप्रैल को जो संदेश दिया था उसका पुनः वाचन करवाया। पूज्यप्रवर ने फरमाया कि अनेक व्यक्तित्व विशेष योगदान देने वाले होते हैं। मुनि महेंद्र कुमार जी हमारे धर्मसंघ के उच्च कोटि के विद्वान संत थे। उनके जाने से एक विशिष्ट संत हमारे धर्मसंघ से चले गए। वे बहुत ज्ञानी संत थे। हमारे मुंबई पहुँचने से पहले ही उनका महाप्रयाण हो गया है। शासन एवं शासनपति के प्रति भक्ति के भाव थे। उनकी स्मृति में मध्यस्थ भावना से चार लोगस्स का ध्यान करवाया। श्रद्धांजलि समर्पण के स्वर में मुख्य मुनि महावीर कुमारजी, साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी, साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी, मुनि धर्मरुचिजी, मुनि योगेश कुमारजी, मुनि कुमार श्रमणजी, मुनि अक्षय प्रकाशजी, मुनि मनन कुमारजी ने अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।