मन, वचन व काया की शुद्धि के लिए करें ध्यान: आचार्यश्री महाश्रमण
बड़ोदरा, 7 अप्रैल, 2023
जिनशासन प्रभावक आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः धवल सेना के साथ लगभग 11 किलोमीटर का विहार कर बडोदरा नगर में पधारे। परम पावन ने मंगल प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि ध्यान अध्यात्म जगत का एक प्रयोग है। विभिन्न ध्यान पद्धतियाँ दुनिया में चल रही हैं। अनेक लोग ध्यान शिविरों में भाग लेते हैं। व्यक्तिगत रूप में लोग ध्यान करते हैं। हमारे यहाँ प्रेक्षाध्यान के नाम से ध्यान पद्धति प्रचलित है। परमपूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी इस प्रेक्षाध्यान का संवर्धन करने वाले, गुरुदेव तुलसी की सन्निधि में इसे आगे बढ़ाने वाले एवं स्वयं ध्यान शिविरों का संचालन करने वाले व्यक्तित्व थे। ध्यान एक साधना का प्रयोग है।
जैन दर्शन में ध्यान के चार प्रकार बताए गए हैंµआर्तध्यान, रौद्रध्यान, धर्मध्यान और शुक्लध्यान। ध्यान यानी चिंतन करना। एक आलंबन पर मन को केंद्रित कर देना अथवा मन, वचन, काया का निरोध करना ध्यान हो जाता है। मन की चंचलता को कम कर देने का एक प्रयोग ध्यान बन सकता है। मन तो हमारा हर समय चलता रहता है। मन का स्वभाव हैµचंचलता। पर चंचलता को कम करने का प्रयास हो। जैसे हवा को रोकना दुष्कर है, वैसे ही मन की चंचलता को रोकना दुष्कर कार्य है। पर अभ्यास और वैराग्य के द्वारा इस मन को निग्रहीत किया जा सकता है। ध्यान में एकाग्रता शक्ति का काम करती है। एकाग्रता दो प्रकार की होती हैµशुभ और अशुभ एकाग्रता। आर्त और रौद्र अशुभ ध्यान है। धर्म और शुक्ल शुभ ध्यान है।
सामायिक साधना का एक अच्छा प्रयोग है। सामायिक में असत् बातें न हों। जप-स्वाध्याय, ध्यान का प्रयोग हो। मन की चंचलता को कम करने का प्रयास हो। ज्ञानशाला के बच्चे हैं, इनमें भी ज्ञान और संस्कारों का अच्छा विकास हो। पूज्यप्रवर ने ध्यान का प्रयोग भी करवाया। आज बड़ोदा आए हैं। बड़ोदा में भी अच्छी धर्म जागरणा, सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति के संस्कार जनता में रहें। खूब धार्मिक-आध्यात्मिक विकास होता रहे। आचार्यप्रवर ने फरमाया कि बहुश्रुत परिषद के संयोजक मुनि महेंद्र कुमार जी का कल दोपहर लगभग 3ः23 पर मुंबई में देवलोकगमन हो गया था। वे आगम मनीषी अलंकरण से विभूषित थे। आगम संपादन में उनकी अच्छी भूमिका रही। मुनिश्री ने प्रेक्षाध्यान को भी आगे बढ़ाने में विशेष कार्य किया था। उनकी आत्मा के प्रति मंगलकामना।
पूज्यप्रवर के स्वागत में स्थानीय सभाध्यक्ष हस्तीमल मेहता, किशोर मंडल एवं तेयुप द्वारा समूह गीत प्रस्तुत किया गया। तेममं अध्यक्षा गीता श्रीमाल, अणुव्रत समिति से संतोष सिंघवी, टीपीएफ से अजय सुराणा, कन्या मंडल, तेयुप से पंकज बोलिया आदि गणमान्यजन उपस्थित रहे। ज्ञानशाला ज्ञानार्थियों ने अपनी भावना अभिव्यक्त की।बड़ोदरा श्रावक समाज ने गीत प्रस्तुत किया। भाजपा बड़ोदरा अध्यक्ष विजयभाई शाह का व्यवस्था समिति द्वारा साहित्य से सम्मान किया गया। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि पूज्यप्रवर ने प्रलंब अहिंसा यात्रा की और अब अणुव्रत यात्रा करवा रहे हैं। देशाटन-यात्राओं से पूज्यप्रवर लोक-कल्याण का कार्य करवा रहे हैं। सद्भावना से अनेक लोग आप से जुड़े हैं। अनेक धर्म और संप्रदाय के लोग आपसे मिलने आते हैं। अहमदाबाद यात्रा में तो राज्यपाल महोदय दो बार आपकी सन्निधि में पधारे थे। आपका आभामंडल शक्तिशाली है। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।