भगवान महावीर का संयममय जीवन का सिद्धांत आज की अधिकतम समस्याओं का समाधान कर सकता है
दिल्ली।
जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, दिल्ली, अग्रवाल मित्र परिषद् एवं अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के संयुक्त तत्त्वावधान में अणुव्रत भवन में शासनश्री साध्वी संघमित्रा जी के मंगल मंत्रोच्चार से ‘अपरिग्रह और अर्थव्यवस्था’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में शासनश्री साध्वी शीलप्रभाजी ने संयम को धर्म का मूल आधार बताया और सभी को संयमित जीवन जीने की प्रेरणा दी। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो0 संगीत रागी (राजनीतिज्ञ विभागाध्यक्ष दिल्ली विश्वविद्यालय) ने वर्तमान युग की परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में अपरिग्रह के सिद्धांत को प्रासंगिक बताया। स्वागत वक्तव्य व परिचय दिल्ली सभा के अध्यक्ष सुखराज सेठिया ने देते हुए भगवान महावीर के जीवन-दर्शन पर प्रकाश डाला। अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के प्रबंध न्यासी के0सी0 जैन ने भगवान महावीर के अपरिग्रह के संदेश की महत्ता पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो0 पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ ने कहा कि छोटे-छोटे संकल्पों के द्वारा महावीर के संदेश को जीवन में उतारकर हम अपने जीवन को सार्थक बनाएँ। इस कार्यक्रम में देश के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक एवं एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी के पद पर कार्यरत डॉ0 आलोक मिश्रा की उपस्थिति रही। अंतर्राष्ट्रीय कवि और गीतकार गजेंद्र सोलंकी ने काव्यपाठ करते हुए अहिंसा-अपरिग्रह और अनेकांत के चिंतन को अणुव्रत का चिंतन बताया। अग्रवाल मित्र परिषद् के अध्यक्ष संजय जैन ने उपस्थित सभी महानुभावों का धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन सुप्रसिद्ध कवि राजेश चेतन ने किया।
जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा दिल्ली, अग्रवाल मित्र परिषद् एवं अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास द्वारा सभी वक्ताओं एवं गणमान्य व्यक्तियों का मोमेंटो एवं शॉल से सम्मान किया गया। कार्यक्रम के संयोजक नत्थूराम जैन, महामंत्री प्रमोद घोड़ावत, समाजभूषण मांगीलाल सेठिया, न्यासी शांति कुमार जैन, डालमचंद बैद, सुभाष जैन, कमल जैन आदि अनेक गणमान्य महानुभावों की उपस्थिति रही।