क्रांति के पुरोधा - भगवान महावीर

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क्रांति के पुरोधा - भगवान महावीर

रामपुराफूल।
महावीर जयंती का समारोह साध्वी कनकरेखा जी के सान्निध्य में संपन्न हुआ। परमेष्ठि स्तुति के साथ साध्वीश्री जी ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। स्वागत भाषण के साथ सभामंत्री सुरेंद्र बंसल ने बाहर से समागत समस्त अतिथियों का स्वागत किया। साध्वी कनकरेखा जी ने कहा कि भगवान महावीर का संपूर्ण जीवन अहिंसा, संयम, तप-त्याग से सजा हुआ था। वह ऐसे समय में आए, जब अहिंसा की जगह हिंसा का तांडव नृत्य हो रहा था, आतंक भ्रष्टाचार का बीभत्स रूप छाया हुआ था। समाज विविध बुराइयों का शिकार हो चुका था। ऐसे समय में भारतभूमि किसी महापुरुष की प्रतीक्षा में थी। क्रांति के पुरोधा भगवान महावीर ने मानव कल्याण के लिए तीन महत्त्वपूर्ण अवदान दिएµअहिंसा, अनेकांत, अपरिग्रह। इन तीनों सिद्धांतों को पहले आपने जीया। इन सिद्धांतों की आज विशेष जरूरत है। इस अवसर पर साध्वी गुणप्रेक्षाजी, साध्वी संवरविभा जी, साध्वी केवलप्रभा जी व साध्वी हेमंतप्रभा जी ने भगवान महावीर के प्रति श्रद्धा समर्पित करते हुए सिम्पोजियम की प्रस्तुति दी। स्थानीय महिला मंडल, कन्याओं ने सुमधुर कव्वाली के साथ परिसंवाद की प्रस्तुति दी।
रामपुराफूल जय तुलसी अणुव्रत पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल उर्मिला बंसल, स्कूल की अन्य शाखा से प्रिंसिपल पूनम अत्री ने अपने विचार व्यक्त किए। टीचर्स ग्रुप ने महावीर के स्वप्नों की सुंदर झाँकी प्रस्तुत की। स्कूल के बालक-बालिकाओं द्वारा नमस्कार महामंत्र की मुद्रा सहित प्रस्तुति दी। साध्वी हेमलता जी ने अपने विचार रखे। सरगम स्वरों के साथ तमन्ना व हेजल ने गीत के स्वर मुखरित किए। इसके पश्चात् तेरापंथ पंजाब-प्रांतीय समिति के अध्यक्ष, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केवलचंद बंसल, अतिथि विजयराज चोपड़ा ने अपने विचार रखे। साध्वी गुणप्रेक्षाश्री जी ने संचालन किया। साध्वीवृंद ने सुमधुर स्वरों के साथ मंगलाचरण किया। इस अवसर पर सुनाम, तपामंडी से श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। स्थानीय सभा, परिषद, महिला मंडल सभी ने उत्साह से भाग लिया। प्रवीण जैन ने आभार ज्ञापन किया। हनीव शबीना ने भजन की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम से पूर्व अहिंसा रैली जयनारों के साथ शहर के मुख्य मार्गों से होती हुई परिषद् के रूप में परिणत हो गई। दीपक, प्रधान सुभाष, मोहन, पवन, हैप्पी, हरीश, रामगोपाल, संदीप, महेश आदि ने सक्रियता के साथ भाग लिया।