ज्ञान, दर्शन व चारित्र साधु की संपदा: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

ज्ञान, दर्शन व चारित्र साधु की संपदा: आचार्यश्री महाश्रमण

वासद, आणंद 5 अप्रैल, 2023
दिव्य दिवाकर आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रातः लगभग 9 किलोमीटर का विहार कर वासद के सरदार पटेल विनय मंदिर परिसर में प्रवास हेतु पधारे। आज चतुर्दशी एवं पक्खी भी है। मर्यादा पुरुषोत्तम आचार्यप्रवर ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि दसवें आलियं आगम में साध्वाचार का शिक्षण दिया गया है। धर्म की संक्षिप्त-सारभूत बात भी बताई गई है। नवदीक्षित साधु के लिए आगमाधारित प्रशिक्षण देना हो तो अति संक्षेप में दसवां आलियं एक सुंदर माध्यम बन सकता है।
शास्त्रकार ने बताया कि मृषा न तो स्वयं बोले, न दूसरों से बुलवाए। मृषावाद बोलने के कई कारण बताए गए हैं। साधु वाणी से अयथार्थ बात, गुस्से या भय के कारण न बोलें। साधु को न तो गुस्सा न भय का भाव रखना चाहिए। अभ्याख्यान तो त्याज्य है ही। शास्त्रों के ये संदेश मननीय, पठनीय और अनुसरणीय हैं। दूसरे का अहित करने वाला मानो स्वयं का अहित तैयार कर रहा है।
यथार्थ बोलने से कठिनाई भी आ सकती है। साधु के असत्य बोलने का त्याग है, पर हर बात सत्य ही बोलना होगा, यह जरूरी नहीं है। मौका हो तो मौन तो रह जाए पर साधु झूठ न बोले। ज्ञान, दर्शन, चारित्र ही साधु की संपदा होती है। सच्चाई के लिए ऋजुता को रखना आवश्यक है। आज चतुर्दशी है। हाजरी का वाचन करते हुए पूज्यप्रवर ने मर्यादाओं को समझाते हुए प्रेरणा प्रदान करवाई। मुनि देवकुमार जी ने लेख पत्र का वाचन किया। समूह रूप में साधु-साध्वियों द्वारा लेख पत्र का वाचन किया गया।।
साध्वी राहतप्रभा जी ने संतों को वंदना की। मुनि धर्मरुचिजी ने संतों की ओर से उनको मंगलकामना संप्रेषित की। मुनि ऋषि कुमार जी ने सत्य के लिए प्राण न्यौछावर करने वाली मुनि मेतार्य की घटना को समझाया। पूज्यप्रवर ने विनय मंदिर के विद्यार्थियों को प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि विद्यार्थियों के लिए ज्ञानार्जन का अच्छा समय है। ज्ञान के साथ अच्छे संस्कार आ जाएँ तो आदमी अच्छा जीवन जी सकता है। पूज्यप्रवर ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति को समझाकर संकल्प स्वीकार करवाए।
विनय मंदिर के चैयरमैन दौलतभाई पटेल ने पूज्यप्रवर के स्वागत में अपनी भावना अभिव्यक्त की। व्यवस्था समिति ने विद्यालय परिवार का सम्मान किया। विद्यालय के विद्यार्थियों को जीवन विज्ञान व अणुव्रत के बारे में समझाया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।