मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी को अर्पित भावांजलि
तेरापंथ की ख्यात के ख्यातनामा संत बहुश्रुत परिषद् के संयोजक मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी हमारे धर्मसंघ के वो संत थे, जिन्होंने अपने कालजयी कर्तृत्व से तेरापंथ की ख्यात में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित किया है। जिनके कर्तृत्व की स्वर्णिम आभा चिहँुदिशी को आभामंडित करेगी। आगम मनीषी मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी हमारे धर्मसंघ के वे संत थे, जिन्होंने आगम महासागर में डुबकी लगाकर अनमोल मणि-मुक्ताओं को प्राप्त कर, उन्हें अपनी लेखनी से लिपिबद्ध कर संघ के भंडार को समृद्ध बनाया है।
पे्रक्षा प्राध्यापक मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी हमारे धर्मसंघ के वो संत थे, जिन्होंने प्रेक्षाध्यान की त्रिपथगा में अवगाहन किया। तथा हजारों लोगों को इस गंगोत्री में अभिस्नात करवाकर शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक स्वास्थ्य-संपदा से संपन्न बनाया। प्रोफेसर मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी हमारे धर्मसंघ के वो संत थे, जिनका प्रज्ञा बल, मेधा-शक्ति, प्रातिभज्ञान विलक्षण था। उन्होंने अंग्रेजी भाषा में प्रभावशाली वक्तव्य, अनेक शिक्षण संस्थाओं में अवधान विद्या का प्रयोग, दार्शनिक शैली में विषय का सटीक विश्लेषण कर विद्वत जगत को आकर्षित किया। संघ प्रभावक मुनि महेंद्रकुमार जी स्वामी हमारे धर्मसंघ के वो संत थे, जिन्होंने अपनी सरास्वत साधना से संघ की अतिशय प्रभावना की है।
त्रय गुरुओं के कृपा पात्र संत मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी हमारे धर्मसंघ के वो संत थे, जिन्होंने गुरुदेव तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ जी एवं आचार्य महाश्रमण जी की अनवरत कृपा का रसास्वादन किया है। उनकी गणभक्ति, गुरुभक्ति एवं आगम भक्ति के नगमें हमेशा अनुगूंजित रहेंगे। पुण्यात्मा मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी हमारे धर्मसंघ के वो संत थे, जिन्होंने संघ, चमन को अपनी ज्ञान-सुवास से सुवासित किया। वे महाज्ञानी, महाध्यानी, महासाधक थे। वे दार्शनिक, वैज्ञानिक, कवि, लेखक, वक्ता, संगायक थे। वे अवधानकार एवं व्याख्याता थे। दर्शन जगत की उलझी गुत्थियों को सुलझाने वाले सरस्वती पुत्र एवं श्रुत आराधक थे।
उनके श्रुतज्ञान ने कईयों को दिशा-बोध दिया है। योगक्षेम वर्ष में प्रबुद्ध वर्ग में उनके निकट बैठकर मुझे भी प्रेक्षाध्यान का प्रशिक्षण लेने का अवसर गुरुदेव की कृपा से प्राप्त हुआ। मुंबई प्रवास के दौरान आपश्री के सान्निध्य में मर्यादा महोत्सव, अक्षय तृतीया आदि कई कार्यक्रम करने का मौका मिला। उस दौरान हमने महसूस किया कि आपका प्रमोद भाव विलक्षण था। वात्सल्य भाव अद्भुत। आपश्री की कृपापूर्ण दृष्टि से हम अभिभूत हैं।
आपने अपने सहवर्ती संत मुनि अजित कुमार जी स्वामी के जीवन को तप-फूलों से शंृगारित किया है। तपस्वी मुनि अजित कुमार जी स्वामी का सेवा भाव रोमांचित करने वाला है। आपने जो मुनिश्री को चित्त समाधि प्रदान की है, वह प्रशंसनीय एवं श्लाघनीय है। मुनिश्री ने मुनि अभिजीत कुमार जी को भी अच्छे ढंग से तैयार किया है। मुनि जागृत कुमार जी एवं छोटे संत सिद्धकुमार जी को भी खूब आगे बढ़ाया है। तीनों संतों को प्राकृत एवं संस्कृत का पंडित बना दिया है। कुछ समय से जम्बू मुनि को भी आपकी सन्निधि का दुर्लभ अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने भी आपकी सन्निधि में ज्ञान-मणियों को बँटोरने का प्रयास किया है। मुंबई श्रावक समाज को आपने खूब आगे बढ़ाया है। दिल्ली का श्रावक समाज भी मुनिश्री को बहुत याद कर रहा है, ऐसा हमने दिल्ली में अनुभव किया है। मुनिश्री की संघनिष्ठा, गुरुभक्ति हर भक्त को स्पंदित एवं आह्लादित करती रहेगी। ऐसे गणभक्त, गुरुभक्त ज्ञानी संत को कोटि-कोटि नमन। उनकी आत्मा निरंतर परम लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रयत्नशील रहे। दिवंगत आत्मा के आध्यात्मिक ऊध्र्वारोहण की मंगलकामना।