आचार्य महाप्रज्ञ का नाम सदियों तक गौरव देता रहेगा
नाथद्वारा।
तेरापंथ भवन में डाॅ0 साध्वी परमयशा जी के सान्निध्य में आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी के 14वें महाप्रयाण दिवस के कार्यक्रम का समायोजन हुआ। डाॅ0 साध्वी परमयशा जी ने कहा कि तेरापंथ के दशम् अनुशास्ता आचार्य महाप्रज्ञ रोशनी के महासागर थे। पूज्यपाद का जीवन दर्शन असीम है, शब्दकोश के शब्द ससीम हैं। वे एक युगप्रधान आचार्य थे। वे एक महान योगीराज थे। प्रेक्षाध्यान, जीवन विज्ञान उनकी अमूल्य देन थी। महामहिम गुरुदेव एक कीर्तिमान व्यक्तित्व थे। तेरापंथ, तपोवन के नौ आचार्यों की संपदा जिन्हें विरासत में मिली। जिन्होंने पाँच आचार्यों के शासन के साधु-साध्वियों को देखा। आचार्यश्री तुलसी ने जिनको निकाय सचिव बनाया। जिन्हें महाप्रज्ञ अलंकरण से सम्मानित किया गया।
आपने कहा कि गुरुदेव की देशना को सुनकर ऐसा लगता है मानो मन मधुवन खिल जाता है। जिनके कर्तृत्व और नेतृत्व को, व्यक्तित्व और वक्तृत्व को आँकड़ों से, पैमानों से बताया नहीं जा सकता। डाॅ0 साध्वी परमयशा जी, साध्वी विनम्रयशा जी, साध्वी मुक्ताप्रभा जी और साध्वी कुमुदप्रभा जी ने डाॅ0 साध्वी परमयशा जी द्वारा रचित गीत का संगान किया। कार्यक्रम में महाप्रज्ञ नयनाभिराम: जैनाचार्यों की छवि महाप्रज्ञ में साध्वी परिवार द्वारा बहुत सुंदर प्रस्तुति प्रस्तुत की। कार्यक्रम में साध्वी कुमुदप्रभा जी ने मंगलाचरण किया। कार्यक्रम में मुख्य आकर्षण रहा। आचार्य महाप्रज्ञ साहित्य एक्सप्रेस जो कि तेममं, नाथद्वारा ने बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी।
महाप्रज्ञ प्रयाण दिवस पर सकल जैन समाज के अध्यक्ष ईश्वरचंद सामोथा, मुख्य अतिथि (मेवाड़ समन्वय समिति के संयोजक) सूर्य प्रकाश मेहता, महासभा के प्रभारी रमेश सोनी ने आचार्य महाप्रज्ञ के प्रति अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम में ज्ञानशाला के बच्चों ने प्रस्तुति दी। इस अवसर पर प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन हुआ तथा रात्रि में शनिवार सामायिक के पश्चात ‘एक शाम महाप्रज्ञ के नाम’ कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें 31 प्रतिभागियों ने भाग लिया। साध्वी मुक्ताप्रभा जी ने कवि सम्मेलन का संयोजन किया। तेरापंथ सभा के उपाध्यक्ष राकेश कोठारी ने सबका आभार ज्ञापन किया।