अर्हम्

अर्हम्

ज्ञात हुआ तेरापंथ धर्मसंघ के बहुश्रुत परिषद् के संयोजक, आगम मनीषी, प्रो0 मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी का प्रयाण हो गया। वे हमारे धर्मसंघ के वरिष्ठ संतप्रवर थे। एक महान् वैदुष्यपूर्ण संतप्रवर थे। उनकी वैदुष्यता उनके द्वारा आलेखित ग्रंथों को पढ़ने से प्रतीत होती है। जैन आगमों में सबसे विशाल ‘भगवती सूत्र’ जैसे आगम के भाष्य को लिखना अपने आपमें एक दुरूह कार्य था, जिसे मुनिश्री ने आगमिक, पारंपरिक, वैज्ञानिक ढंग से लिखकर लगभग पूर्ण कर दिया था।
मुनिश्री के ज्ञान की चेतना विकसित थी, जिससे वे कठिन से कठिन ग्रंथों का परायण कर लेते थे। हमारे धर्मसंघ में 18 भाषाओं के जानकार संभवतः मुनिश्री ही थे। वे एक सफल अवधान प्रयोक्ता भी थे। मुनिश्री का जीवन संघ व संघपति के प्रति पूर्ण समर्पित रहा है। वे एक ‘इंगियारसंपन्न’ मुनिप्रवर थे। संघ विकास के लिए हमेशा कुछ न कुछ चिंतन-मनन करते रहते थे। एक बार जब हम श्रद्धेय मंत्री मुनिप्रवर की सन्निधि में अणुव्रत भवन, दिल्ली में प्रवास कर रहे थे, तब मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी भी वहाँ पधारे हुए थे, उन दिनों मैंने मुनिश्री से प्रश्न पूछा था-
Q. : Whats your experience about life and success?
at that time heanaursed —
Ans. : In my life. I learn no challange is too big and no spirit is to small to start. I belive that apportunities are the winder to opecience happiness....
इस प्रकार की प्रेरणा से वे सामने वाले व्यक्ति को कैसे जीवन में सफलता के पथ पर अग्रसर होना है, इसका बोध करवाते थे।
मुनिश्री का जीवन पंचशीलों से युक्त था-निष्ठाशील, श्रमशील, सहनशील, अनुशासनशील, विनयशील।
यदि मुनिश्री के समग्र जीवन को देखें तो उन्होंने शास्त्र की वाणी ‘एवं हवई बहुस्सुए’ अर्थात् ‘ऐसे होते हैं बहुश्रुत’ को चरितार्थ किया है।
मुनि अजित कुमार जी स्वामी, मुनि जम्बू कुमार जी स्वामी, मुनि अभिजीत कुमार जी स्वामी, मुनि जागृत कुमार जी स्वामी और मुनि सिद्ध कुमार जी, जिन्हें आदरणीय मुनिश्री महेंद्र कुमार जी स्वामी की मंगलकारी, कल्याणकारी सन्निधि में दीर्घ समय तक रहने का अवसर प्राप्त हुआ है।
एक महान् संतप्रवर के धर्मसंघ से विदा हो जाने से उनका स्थान रिक्त हो गया है। आशा करते हैं कोई तो इस क्षति की पूर्ति कर सके।
दिवंगत बहुश्रुत, आगम मनीषी, प्रो0 मुनि महेंद्र कुमार जी स्वामी की आत्मा के उन्नयन की मंगलकामना।